अटल प्रोग्रेस-वे के नाम पर उजाड़े जा रहे हैं चंबल के खेत

किसानों ने सात सूत्रीय मांगों लेकर अटेर एसडीएम कार्यालय पर धरना देकर सौंपा ज्ञापन

भिण्ड, 14 मार्च। किसानों ने प्रति बीघा एक लाख रुपए दिए जाने सहित सात सूत्रीय मांगों को लेकर मप्र किसान सभा के झण्डे तले अटेर एसडीएम कार्यालय पर आधा सैकड़ा किसानों ने एकत्रित होकर दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक धरना प्रदर्शन किया। मुख्यालय पर एसडीएम की अनुपस्थिति होने पर तहसीलदार को ज्ञापन दिया गया। जिसमें मांग की गई कि समय रहते किसानों की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो मप्र किसान सभा आंदोलन को तेज करेगी।
इस मौके पर मप्र किसान सभा जिला अध्यक्ष राजीव दीक्षित, महासचिव प्रेमनारायण माहौर, सहायक जिला सचिव वीरेन्द्र कुशवाहा, उपाध्यक्ष नारायण शर्मा, जिला सचिव राजेश शर्मा, अनिल दोनेरिया, राजेश बघेल आदि ने संबोधित किया। वक्ताओं ने मप्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा के जब तक किसानों को भरोसे में नहीं लिया जाता और उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया जाता तब तक किसान चुपचाप नहीं बैठेगा। जिन 10 हजार किसानों की जमीन अधिकृत की जा रही है, उन किसानों को 2013 के बने कानून के अनुसार जमीन का पांच गुना मुआवजा मिलना चाहिए। सरकार ने जमीन के बदले दुगनी जमीन देने की घोषणा की है, मगर उन जमीनों को खेती योग्य बनाने के लिए सरकार पैसा नहीं दे रही है।


ज्ञापन में मांग की गई है कि भूमि अधिग्रहण के मामले में पुन: नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी कर समुचित प्रचार-प्रसार कर किसानों को व्यक्तिगत नोटिस जारी कर दावे आपत्ति लिए जावे पीढिय़ों से जो किसान शासकीय बीहड़ की भूमि पर काबिज होकर काश्तकारी कर रहे हैं, उनका कब्जा इंद्राज कर उन्हें भी जमीन दी जावे ऐसे किसानों की संख्या 30 हजार के लगभग है, जो किसान दुगनी जमीन नहीं लेना चाहते हैं उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार बाजार मूल्य से तीन से पांच गुना मुआवजा दिया जावे एक्सप्रेस वे के दोनों ओर एक-एक किमी के कॉरीडोर में कारपोरेट कंपनियों के बजाय किसानों को जमीन आवंटित की जाए और कृषि आधारित उद्योग लगाए जाए। एक्सप्रेस वे पर निकासी के लिए बड़े-बड़े गांव के पास कट दिए जाए, जो किसान जमीन के बदले दुगनी जमीन ले रहे हैं, उन्हें जमीन को कृषि उपयोग बनाने के लिए खाद बीज कृषि उपकरण आदि के लिए एक लाख रुपए प्रति बीघा आर्थिक सहायता दी जाए। किसानों से की जा रही बैंक विद्युत वसूली स्थगित की जाए।
अंत में चंबल की जमीन बचाने के लिए एक संघर्ष कमेटी का गठन किया गया। जिसमें संयोजक राजीव दीक्षित एवं श्रीकृष्ण भदौरिया, लाखन सिंह तोमर उप संयोजक तथा सदस्यों में राकेश बघेल, राजपाल सिंह भदौरिया, अशोक मिश्रा, कोकसिंह बघेल, शिवकिशोर पाण्डे, रणवीर सिंह भदौरिया, सुभाष चन्द्र शर्मा, धर्मेन्द्र सिंह, उदयराम शर्मा, अनिल दोनेरिया को चुना गया।