स्वसहायता समूह से जुड़कर खरीदी टमटम बनी जीवन का सहारा

भिण्ड, 03 मार्च। स्वसहायता समूह से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर तो बनी हैं, साथ ही समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। समूह से जुड़कर महिलाएं अपने हुनर के अनुसार कार्य कर रही हैं।
लहार विकास खण्ड के ग्राम अदलीशपुरा में भीमाबाई आजीविका स्वसहायता समूह से जुड़कर मप्र ग्रामीण बैंक शाखा लहार से सीसीएल ऋण से 50 हजार रुपए लिए जिससे टमटम (इलेक्ट्रॉनिक ऑटो रिक्शा) लिया। इलेक्ट्रॉनिक ऑटो रिक्शा से प्राप्त होने वाली इनकम से श्रीमती विनीता देवी अब अपने पैरों पर खड़ी हो गई हैं। यह सब मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से साकार हुआ हैै। श्रीमती विनीता देवी बताती हैं कि मैं ग्राम अदलीशपुरा में रहती हूं। मेरे पति राजमिस्त्री के साथ मजदूरी का काम करते हैं। जिससे हमारा जीवन बहुत ही परेशानी से चल रहा था, कभी मजदूरी मिलती कभी नहीं मिलती। वारिस में तो काम ही बंद हो जाता था। मेरे दो बच्चे हैं, पैसों की कमी के चलते उनकी शिक्षा भी बड़ी मुश्किल से चल पा रहा थी। एक दिन हमारे ग्राम में सीआरपी संध्या दीदी आईं, उन्होंने हमें स्वसहायता समूह के बारे में जानकारी दी और बताया कि समूह में जुडऩे के बाद हमें समूह से कम व्याज पर रुपए उधार मिल जाते हैं एवं उससे रोजगार आजीविका की गतिविधि प्रारंभ कर सकते हैं।
हम ग्राम की दीदियों से मिलकर भीमाबाई आजीविका स्वसहायता समूह बनाया। हम प्रत्येक सप्ताह 20-20 रुपए बचत करने लगे उसके बाद हमें मप्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन लहार से 11 हजार रुपए चक्रीय राशि प्राप्त हुई। जिससे हमने छोटी-छोटी आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगी उसके बाद हमें रानी लक्ष्मीबाई आजीविका ग्राम संगठन से 80 हजार रुपए का ऋण मिला, जिससे मैंने 40 हजार रुपए ऋण लिया। उसके बाद मप्र. ग्रामीण बैंक शाखा लहार से सीसीएल ऋण से 50 हजार रुपए लिए जिससे टमटम (इलेक्ट्रानिक ऑटो रिक्शा) लिया। उसे मेरा लड़का दीपक चलाता है। उससे हमें प्रतिदिन 500 रुपए के हिसाब से 15 हजार रुपए मासिक आय होने लगी है। उसमें हम पांच हजार रुपए सीसीएल की किस्त जमा कर देते हैं एवं 10 हजार रुपए से हमारा खर्चा आराम से चल रहा है। हम अब बहुत खुश हैं। मैं और मेरा परिवार आजीविका मिशन का हमेशा आभारी है, जिसने हमें आजीविका का साधन दिया।