भिण्ड, 01 मार्च। गोहद क्षेत्र के ग्राम भोनपुरा में श्रीराम कथा के प्रथम दिन पं. किशोरचंद्र रामायणी ने गोस्वामी तुलसीदास की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गोस्वामी जी महाराज का जन्म उस समय हुआ जब हम सनातन धर्म का उदय प्रारंभ हो रहा था। वेद की ऋचाएं सुनने को भी नहीं मिल रही थीं, ऐसे समय में पूज्य स्वामी जी का जन्म हुआ। उन्होंने नागरी अथवा ग्रामीण भाषा में राम चरित्र मानस की रचना कर सनातन धर्म की रक्षा और राम चरित्र मानस के माध्यम से जनमानस में मानवता की गंगा जागरुक की। ज्ञान गंगा का ग्रामीण भाषा में रचनाकार उन्होंने श्री रामचंद्र के चरित्र से दुनिया को यह संदेश दिया कि मर्यादित और धर्म के संपूर्ण लक्षणों से समन्वित जीवन को श्रीराम के जीवन को देखकर आम जनमानस सीख लेनी चाहिए।
आज कथा में सर्वप्रथम गुरु वंदना और राम नाम की महिमा भक्तगणों को सुनाई गई। बुधवार को भगवान शिव और सती के चरित्र का वर्णन किया जाएगा। कथा के प्रथम दिन भिण्ड-मुरैना के तमाम ग्रामों के ग्रामीण ट्रैक्टरों में बैठकर श्रीराम कथा का श्रवण करने पहुंचे।