मेहगांव : पंचकल्याणक में मनाया गर्भ कल्याणक महोत्सव

भिण्ड, 19 फरवरी। गणाचार्य विराग सागर महाराज के ससंघ 40 पिच्छियों के सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य संदीप शास्त्री के द्वारा विधि विधान से नवीन चौबीसी जिन मन्दिर मेहगांव का श्री 1008 मज्जिनेन्द्र आदिनाथ जिनबिंबा पंच कल्याणक वेदी प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव विश्व शांति महायज्ञ का आयोजन 18 से 23 फरवरी तक पानी की टंकी के पास मेहगांव में आयोजित हो रहा है।
इस अवसर पर गणाचार्य विराग सागर महाराज ने शनिवार को अपने उद्वोधन में कहा कि संपूर्ण विश्व में अनेकों मत व संप्रदाय हैं, लेकिन उनमें से जैन धर्म की मान्यता कुछ हटकर है। यहां कहा जाता है कि भगवान बने बनाए नहीं होते अपितु मनुष्य ही पुरुषार्थ करके भगवान बनता है। जब एक मां का बच्चा कोई अच्छा कार्य करता है तो मां प्रसन्न होती है। परिवार, समाज, देश में भी जब कोई अच्छा कार्य करता है तो उसका सम्मान किया जाता है और उस समय से सभी लोगों को खुशी होती है।
आचार्यश्री ने कहा कि जिसका आचरण, जिसके कार्य अच्छे होते हैं वे सम्माननीय हो जाते हंै और जब कोई साधना करने लगते है तो वे पंचपरमेष्ठी स्वरूप पूज्यनीय हो जाते हंै और जब भगवान बन जाते हंै तो जन-जन के परम पूज्यनीय हो जाते हंै। उन्होंने कहा कि हम सभी भगवान के दर्शन तो कर लेते हैं लेकिन हमने आज तक यह नहीं सोचा कि भगवान कैसे बना जाता है। व्यक्ति पहले इंसान बने, फिर भगवान बन सकता है। जो अपने आप को भगवान मानकर बैठ जाए वो कभी भगवान नहीं बन सकता है। खाली बर्तन यदि अपने आप को भरा मान ले तो वह कभी नहीं भर सकता। जो अपने आप को जितना लघु मानता है वही भगवान बनता है। वृक्ष जितने फलों से भरता है उतना ही झुकता है, बांस झुकता नहीं है अत: वह टूट जाता है। जैन धर्म में जो तीर्थंकर बनते हैं उनके अंदर बहुत ही लघुता होती है, वे संपूर्ण प्राणियों के दुख दूर करने का प्रयत्न और भावना रखते हैं। उन्होंने कहा कि आदिनाथ भगवान ऐसी ही प्रबल भावनाओं को भाकर तीर्थंकर बने। देवों ने उनके पंचकल्याणक मनाए। भगवान मां के गर्भ में आए, उसके छह माह पूर्व ही देवों ने अयोध्या नगरी को स्वर्णमय बना दिया। प्रजा में कोई गरीब न रहे, इसलिए तीन-चार टाईम पर रत्नों की वर्षा आरंभ कर दी, जिससे संपूर्ण प्रजा में सुख शांति छा गई। इस प्रकार भगवान का गर्भ कल्याणक संपन्न हुआ।