भगवान अपने भक्त की सुरक्षा में सदैव खड़े : पं. कटारे

जुगे के पुरा में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 13 फरवरी। मेहगांव क्षेत्र के ग्राम जुगेकापुरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में रविवार को भक्त प्रहलाद के भक्ति काल जीवन का निरुपण करते हुए आचार्य पं. रामअवतार कटारे सोनी वाले ने कहा कि भक्त का जन्म कही भी किसी भी परिस्थितियों में हुआ हो, मगर भगवान अपने भक्त की सुरक्षा में सदैव खड़े होकर भक्त को उन परिस्थितियों से संघर्ष कर धर्म की रक्षार्थ भक्त को सहनशील और संघर्षशील बनाते हैं। आगे चलकर वही भक्त समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा दायक होता हैं। भगवान के भक्त सदैव विषम परिस्थितियों मे जीवन जीते हुए समाज और देश के लिए काम करते हुए स्वयं परमपद प्राप्त करते हैं व उनके सानिध्य में रहने वाले या आने वालों का भी कल्याण कर देते हैं, भगवान के सच्चे भक्त की यही असली पहचान है। कभी कभी लोगों को भ्रम रहता है कि अपने भक्त को भगवान राक्षस कुल में जन्म कैसे दे सकते हैं। श्रीमद् भागवत कथा में दंदरौआ धाम के महंत श्रीश्री 1008 रामदास जी महाराज पधारे।
व्यास गद्दी से पं. कटारे ने कहा कि जीवन में एक बात सदैव याद रखना ज्ञान और कर्म कभी नहीं मरते, वह सदैव जीवित रहते हैं, जीव का शरीर छूटने के बाद जन्म होते ही जीव के कर्मों के अनुसार जन्म होने पर स्वत: ही उसके साथ प्रकट हो जाते है। मनुष्य जीवन धन संचय करने के लिए नहीं बल्कि ज्ञान और सदकर्म करने के लिए प्रभु की कृपा से मिलता है। जो मनुष्य भवगत कृपा से महापुराण भागवत की कथा श्रवण करता है, नित्य पाठ करता है, उसे भगवान की अहैतुक कृपा से इस रहस्यमयी भेद को समझने का ज्ञान प्राप्त होता है वही श्रेष्ठ भक्त है। धर्म की स्थापना के लिए समर्पित जीवन ही मनुष्य जीवन का श्रेष्ठ फल है, उसी को भक्त प्रहलाद कहते हैं। सभी भगवत कथा प्रेमी कथा सुनकर भाव विभोर हो गए।