विदिशा, 08 जनवरी। द्वितीय अपर सत्र/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो विदिशा सुश्री प्रतिष्ठा अवस्थी के न्यायालय ने नाबालिग बालिका के साथ गलत काम करने वाले आरोपी की धारा 363, 366, 376(दो)(एन) भादवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 5एल सहपठित धारा 6(1) में जमानत निरस्त कर दी है। उक्त मामले में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रतिभा गौतम ने जमानत याचिका पर अपराध की गंभीरता के आधार पर कड़ा विरोध किया।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी जिला विदिशा सुश्री गार्गी झा के अनुसार घटना संक्षिप्त में इस प्रकार है कि आरोपी द्वारा 18 वर्ष से कम आयु की अवयस्क अभियोक्त्री का व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार गलत काम किया। आरोपी पर आरोपित अपराध आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डनीय है। वर्तमान समय में महिलाओं को एवं बालिकाओं के प्रति बढ़ते हुए यौन अपराधों को देखते हुए यदि ऐसे मामलों में भी आरोपी को जमानत का लाभ दिया गया तो उससे इस तरह के अपराधों की पुनरावृत्ति होना संभव है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा आरोपी की ओर से जमानत आवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था, जिसे न्यायालय ने आरोपी के कृत्य की गंभीरता, प्रकरण की परिस्थितियों एवं महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए यौन अपराधों को देखते हुए आरोपी का जमानत आवेदन निरस्त कर दिया है।