फर्जी महिला परीक्षार्थी सहित अन्‍य दो को एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास

20 वर्ष बाद न्‍यायालय ने सुनाई सजा

ग्‍वालियर, 06 जनवरी|अतिरिक्त मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ग्‍वालियर श्री महेन्‍द्र कुमार सैनी के न्‍यायालय ने फर्जी महिला परीक्षार्थी श्रीमती सविता यादव सहित आरोपी अनिल कुमार यादव, अनिल कुमार चौधरी को धारा 471 भादंसं के अधीन दोषसिद्ध करते हुए एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो-दो हजाार रुपए के जुर्माने से दण्डित किया है।

प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी कर रहे सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी ग्‍वालियर अभिषेक सिरौठिया ने घटना के बारे मे बताया कि 26 मार्च 2001 को फरियादी रविन्‍द्र नाथ श्रीवास्‍तव ने रिपोर्ट लेख कराई कि उसके पैनल द्वारा शा. उमावि जनकगंज ग्वालियर केन्‍द्र क्र.14013 पर शुवह 1043 बजे निरीक्षण किया गया व उसके द्वारा केन्‍द्राध्‍यक्ष एवं उक्‍त विद्यालय के प्राचार्य द्वारा परीक्षार्थियों के फोटो व हस्‍ताक्षर मिलान कराये इस संबंध मे सूचना प्राप्‍त हुई कि राजस्‍थान के कुछ छात्र मप्र के फर्जी मूलनिवासी बनकर हाईस्‍कूल प्रमाण पत्र की परीक्षा 2001 दे रहे है। अभिलेखों में मिलान करने पर कक्षा आठवीं, नौवीं की अंकसूचियों की विस्‍तृत जांच की गई, जिनमे तीन छात्र-छात्राएं अनिल कुमार यादव, अनिल कुमार चौधरी व श्रीमती सविता यादव के अभिलेख संदिग्‍ध पाए गए| छात्रों से पूछताछ करने पर उन्‍होंने रूपेश शर्मा निवासी अलबर से फोर्म भरवाया जाना बताया तथा अनिल कुमार यादव ने 15 हजार रुपए, अनिल कुमार चौधरी ने 13 हजार 500 रुपए व सविता यादव ने 15 हजार रुपए रूपेश शर्मा को अलवर में दिया जाना बताया| साथ ही छात्रो ने बताया कि रूपेश शर्मा ने तीनो छात्रों को प्रवेश पत्र देने व परीक्षा में 50 से 55 प्रतिशत अंक दिलाने की गारंटी दी, तीनों छात्रों ने बताया था कि वह रूपेश शर्मा के साथ वर्ष 2001 में 30 व 40 लड़कों व तीन लड़कियों को लेकर जयेन्‍द्रगंज स्थित धर्मशाला मे रुका था| साथ ही तीनों परीक्षार्थियों ने बताया कि उन्‍होंने रिचा हाईस्‍कूल आमखों कम्‍पू कभी नही देखा विवेचना के दौरान तीनों आरोपीगण के विरुद्ध अपराध सिद्ध पाया गया। जिसका अभियोग पत्र न्‍यायालय के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया, जिसका विचारण लगभग 20 वर्षो से लंबित था। विचारण के दौरान आई साक्ष्‍य एवं अभियोजन अधिकारी के तर्कों से सहमत होते हुए न्‍यायालय द्वारा आरोपीगण को दोषसिद्ध पाया, जिस पर न्‍यायालय द्वारा अपराध की गंभीरता, प्रकृति एवं प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्‍तगण को भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 471 के अधीन दोषसिद्ध करते हुए एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2000-2000 रुपए के अर्थदण्‍ड से दण्डित किया है|