प्रेम, त्याग का प्रतीक है रामचरित मानस ग्रंथ : देवी संध्या जी

तीन दिवसीय राम चरितमानस सम्मेलन का समापन

भिण्ड, 02 जनवरी। ग्राम बरहद में राम-जानकी मन्दिर पर चल रहे त्रिदिवसीय रामचरित मानस सम्मेलन का समापन रविवार को किया गया। तीन दिन से लगातार चल रहे रामचरित मानस पर व्याख्यान में पं. कामतानाथ रामकिंकर, पं. रामनिवास शास्त्री बरहद, पं. दिलासाराम व्यास, जंडेल सिंह गुर्जर केरोरा द्वारा गहन चर्चा और प्रवचन आयोजित किया गया।

उपस्थित श्रोतागण

समापन दिवस पर भागवताचार्य सुश्री देवी संध्या ने रामचरितमानस पर विशेष प्रवचन दिए गए। देवी संध्या ने बताया कि रामायण में हनुमान जी जब लंका को जला कर प्रभु राम के पास आए तो रघुनाथ ने पूछा कि तुम्हारी पूंछ क्यों नहीं जली। तो हनुमान जी का जवाब था कि हृदय में रघुनाथ थे। फिर पूंछ की कुशलता से मतलब नहीं था। देवी संध्या ने कहा कि आज सनातन को बचाने का एकमात्र चारा सिर्फ धर्म, प्रवचन, भागवत और धर्म सभा है नहीं तो धर्म को लुप्त होते समय नही लगेगा। उन्होंने रामचरित मानस की चौपाइयों के संक्षिप्त में गहराई के साथ प्रवचन दिए। यह कार्यक्रम का आयोजन ग्राम बरहद के सरपंच प्रेमनारायण शर्मा द्वारा किया गया। प्रवचन में बड़ी संख्या में ग्राम वासियों ने रामचरित मानस के अर्थ को समझा।