धनकड की गुमशुदगी की प्रेरणा क्या चीन से मिली?

– राकेश अचल


भारत की राजनीति पर अब चीन का असर साफ दिखाई देने लगा है। जैसे चीन में सरकार के खिलाफ बोलने वाले बडे से बडे रसूखदार व्यक्ति को रातों-रात गायब कर दिया जाता है, वैसे ही भारत में उपराष्ट्रपति रहे जगदीप धनकड और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार गायब हैं। विरोधियों को गायब करने में रूस हो या चीन एक जैसे ही हैं।
ताजा खबरों के मुताबिक जैसे भारत में पू्व उपराष्ट्रपति धनकड गायब हुए उसी तरह सिंगापुर में चीन की पूर्व राजदूत सुन हाइयान को हिरासत में लिया गया है। कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय विभाग की उपमंत्री सुन को लियू जियानचाओ की जांच से जोडकर देखा जा रहा है, जिनसे पहले पूछताछ हुई थी। दोनों राजनयिकों से पूछताछ की वजह स्पष्ट नहीं है। यह घटनाक्रम चीन की विदेश नीति और शीर्ष नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता दर्शाता है।
सुन हाइयान कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय विभाग की पहली महिला उपमंत्री हैं। उनको लियू की जांच से जोडकर देखा जा रहा है। सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों राजनयिकों से किस वजह से पूछताछ हो रही है। सूत्रों ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर यह जानकारी दी, क्योंकि मामला बेहद संवेदनशील है। लियू जियानचाओ की हिरासत उस समय हुई, जब वह सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका और अल्जीरिया की दौरे से लौटे थे। अगस्त की शुरुआत में उनके घर की तलाशी भी ली गई।
सुन हाइयान का नाम इससे पहले तब सुर्खियों में आया, जब वह एक अगस्त को बीजिंग में नेपाल के दूतावास द्वारा आयोजित एक समारोह में नजर आई थीं। इसके बाद उनकी कोई सार्वजनिक उपस्थिति नहीं दर्ज की गई। सुन हाइयान 53 वर्षीय राजनयिक हैं। उन्होंने 1997 में कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय विभाग में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को संभालने वाली ब्यूरो की प्रमुख और प्रवक्ता जैसी कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं। 2008 में वह शेडोंग प्रांत के जिबो शहर में जिला पार्टी समिति की अधिकारी भी रहीं।
सुन ने पेकिंग यूनिवर्सिटी से कानून में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है और जापान की क्यूशू यूनिवर्सिटी में भी पढाई की है। मई 2022 से जुलाई 2023 तक सिंगापुर में राजदूत के तौर पर उनकी तैनाती थी। अपने कार्यकाल के अंत में उन्होंने सिंगापुर के एक लग्जरी होटल में 500 लोगों के लिए एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया था, जिसकी खबरें चीनी मीडिया में छाई रहीं। लियू जियानचाओ की हिरासत को 2023 में पूर्व विदेश मंत्री किन गांग के अचानक गायब होने के बाद सबसे बडे राजनयिक हादसे के तौर पर देखा जा रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी माने जाने वाले किन गांग को बिना किसी स्पष्टीकरण के पद से हटा दिया गया था। चीन की स्टेट काउंसिल सूचना कार्यालय और अंतर्राष्ट्रीय विभाग ने इस मामले पर रॉयटर्स के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। सुन और लियू की हिरासत ने न केवल चीन की विदेश नीति को लेकर सवाल खडे किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि देश के शीर्ष नेतृत्व में कितनी अनिश्चितता बनी हुई है।
भारत में भी सरकार न पूर्व उपराष्ट्रपति के बारे में किसी सवाल का जबाब दे रही है और न पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के बारे में। धनकड किसानों के मुद्दे पर सरकार से सवाल करने की गलती कर बैठे और राजीव कुमार सरकार के लिए वोट चोरी के आरोपी हैं। ये दोनों अगर जनता के सामने प्रकट होतें हैं तो सरकार के लिए मुसीबतों का पहाड टूट सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी महिने के अंत में चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। मोदी जी के स्वदेश लौटने पर धनकड और राजीव कुमार के बाद कौन गायब हो जाए कहा नहीं जा सकता। फिलहाल भारत में विपक्ष को तो छोडिए, सत्तापक्ष के नेता डरे हुए हैं। कोई मोदी जी के सामने खडे होने की हिम्मत नहीं कर पा रहे। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक की दुर्दशा सबके सामने है।
मैं ये बात इसलिए भी कह रहा हूं क्योंकि 15 अगस्त को मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण में चीन में आर्थिक क्रांति लाने वाले देंग शियाओ पिंग की तर्ज पर कहा कि मैं सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को कहना चाहता हूं कि ये किसी राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं है, भारत सभी का है, हम वोकल फॉर लोकल को सभी भारतीयों का मंत्र बनाएं। भारत के लोगों के पसीने से बनी भारत की चीजें, जिनमें हमारे लोगों की मेहनत की महक हो, हम वही चीजें खरीदें। देश देखते ही देखते बदल जाएगा। चीन में आर्थिक क्रांति लाने वाले देंग शियाओ पिंग ने भी 70 के दशक में अपने देशवासियों से कुछ इसी तरह की अपील की थी।