– राकेश अचल
अब भगवान के लिए ऑपरेशन सिंदूर को भूल जाइए, सीज फायर को भुला दीजिए। डोनाल्ड ट्रंप साहब के बयानों पर गौर मत कीजिए, क्योंकि अब भारत ने जापान को पछाडकर दुनिया की चौथी सबसे बडी अर्थ व्यवस्था बनने का गौरव हासिल किया है। यह उपलब्धि भारत के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसका श्रेय अनुकूल भू-राजनीति और निरंतर नीतिगत सुधारों को जाता है। लेकिन आरती उतारना पडेगी आपको अंततोगत्वा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की।
आईएमएफ के अनुसार, भारत की नॉमिनल जीडीपी 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने इस खबर की घोषणा करते हुए भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना की। दिग्गज उद्योगपति आनंद महिन्द्रा ने इस उपलब्धि को लाखों भारतीयों की महत्वाकांक्षा और सरलता का प्रमाण बताया है। कभी वह भारत को जापान से आगे निकलने की कल्पना को दूर का सपना मानते थे।
ऑपरेशन सिंदूर को बीच में ही रोकने और ट्रंप के दखल की वजह से देश ने देश की सेना की आरती तो उतारी, लेकिन मोदी जी की नहीं। मोदी जी देश के इस व्यवहार से आहत हैं और इसीलिए उन्होंने एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में सबसे मौन रहने कै कहा। क्योंकि इस फायर, सीज फायर और मिस फायर को लेकर मोदी जी और देश की जितनी छीछालेदर हुई है, उतनी पहले किसी मुद्दे पर नहीं हुई। मोदी जी के तीसरे कार्यकाल की ये सबसे बडी विफलता है।
बडी उपलब्धि हासिल करते हुए अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बडी अर्थ व्यवस्था बन गया है। ये दावा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी वल्र्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में किया है, जो 22 अप्रैल 2025 को जारी हुई थी। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने 25 मई को इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, ‘भारत अब जापान को पीछे छोडकर चौथी सबसे बडी अर्थ व्यवस्था बन चुका है। हमारी जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर को पार कर चुकी है और ये कोई हमारा अनुमान नहीं, बल्कि आईएम एफ के आंकडे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर देश की नीतियां इसी तरह बनी रहीं तो आने वाले 2 से 3 सालों में भारत जर्मनी को भी पीछे छोडकर तीसरी सबसे बडी अर्थ व्यवस्था बन सकता है।
2023 के आंकडों के अनुसार टॉप पर अमेरिका- $27.72 ट्रिलियन, फिर चीन- 17.79 ट्रिलियन फिर जर्मनी- 4.52 ट्रिलियन, फिर जापान- 4.20 ट्रिलियन और पांचवे स्थान पर भारत- 3.56 ट्रिलियन था। अब भारत चौथे स्थान पर है और जापान पांचवें स्थान पर। इस उपलब्धि का श्रेय किसानों, उद्योगपतियों को देने से पहले प्रधानमंत्री और सीतारामी बजट बनाने वाली वित्तमंत्री को देना चाहिए। आखिर इस मुकाम पर आने में भारत को आठ दशक लग गए। इसका श्रेय नेहरू, इन्दिरा, राजीव नरसिम्हाराव, अटल जी या डॉ. मनमोहन सिंह नहीं देना चाहिए, अन्यथा मोदीजी का दिल फिर टूट जाएगा और देश को मोदी जी के साथ ये जुल्म नहीं करना चाहिए।
बिहार विधानसभा चुनाव में लेकिन ये उपलब्धि असरदार होगी, इसमें मुझे संदेह है। बिहार और बंगाल में तो मोदी जी को सिंदूर से ही काम चलाना पडेगा। वहां जातीय जनगणना का भी असर होने वाला नहीं है। देश में न कालाधन लौटा, न भगोडे डिपोर्ट हुए, न बेरोजगारी कम हुई और न मंहगाई रुकी, फिर भी देश की अर्थ व्यवस्था चार ट्रिलियन की हो गई, ये प्रभु श्रीराम की ही महती कृपा है। सीजफायर की तरह इसमें ट्रंप साहब का कोई योगदान नहीं है। जो है सब मोदी जी और सिर्फ मोदी जी का है। उनकी 56 इंच की छाती का है। हमें मोदी जी पर गर्व है।
मजा तब आएगा जब हम चीन की चोटी खींचने लायक बनेंगे। इसके लिए हमे अभी जर्मनी को पछाडन पडेगा। मोदी जी हैं तो ये भी मुमकिन है। मोदी जी वैसे भी अभी कौन से रिटायर होने जा रहे हैं। अभी वे 2029 के आम चुनाव में भी एनडीए का नेतृत्व करेंगे, भले ही उन्हें बैशाखी के बाद व्हील चेयर का सहारा लेना पडे, किंतु सरकार वे ही बनाएंगे और चलाएंगे। राहुल गांधी के लिए सत्ता में आना सपना ही रहेगा।