सागर, 30 जून। प्रथम अपर-सत्र न्यायाधीश देवरी जिला-सागर की अदालत नेे सौतेली बेटी की हत्या करने वाले आरोपी मोनू उर्फ भूपेन्द्र राजपूत को भादंवि की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 201 के तहत तीन वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती वृंदा चौहान ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (मृतिका की मां) दुर्गा यादव ने नौ जुलाई 2021 को थाना केसली में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई वह मजदूरी करती है, करीब चार-पांच माह से अपने पति से अलग रहकर अपनी छोटी लडक़ी मृतिका (उम्र- सात वर्ष) के साथ अपने दास्ता पति मोनू राजपूत के साथ रह रही थी। कुछ दिन पहले वह अपनी लडक़ी के साथ अपने मायके गई थी, दो जुलाई 2021 को वापस घर आ गई थी, उसके दूसरे दिन सुबह करीब 5:30 बजे जब वह उठी तो उसकी लडक़ी (मृतिका) अपने बिस्तर पर नहीं थी, तब उसने अपने दास्ता पति मोनू राजपूत को जगाया और उसकी तलाश की किंतु उसका कोई पता नहीं चला। अनुसंधान के दौरान मृतिका की मां दुर्गा यादव एवं उसके दास्ता पति मोनू उर्फ भूपेन्द्र राजपूत से पूछताछ की तो उसने बताया कि 12-13 दिन पहले दुर्गा यादव अपनी बच्ची को लेकर उसे बिना बताए अपने मायके चली गई थी दो जुलाई 2021 केा वापस बच्ची के साथ आ गई थी, इसके पूर्व भी वह बिना बताए कहीं भी चली जाती थी, जिससे उसकी जग हंसाई होती थी जिसके कारण वह बहुत गुस्से में रहता था। दो जुलाई 2021 को इसी वजह से दुर्गा यादव और मृतिका बच्ची के साथ लाठी से मारपीट की थी, जिससे मृतिका बच्ची बेहोश हो गई थी जब वह रात में जागा तो देखा कि बच्ची बेहोश पड़ी है, तब यह सोचकर कि सुबह दुर्गा को जब जता चलेगा तो वह सबको बता देगी कि मेरे मारने से वह मृत हो गई तो रात में मृतिका बच्ची को पास के कुए में डाल दिया, दो दिन बाद मृतिका की लाश ऊपर आ जाने से कुएं से निकालकर खेत में गाढ़ दिया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना केसली पुलिस ने धारा 302, 201, 363 भादंसं का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत प्रथम अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।