मुनि के सानिध्य में 48 दिवसीय भक्ताम्बर विधान में हो रही है सिद्धों आरधान
भिण्ड, 22 जुलाई। धर्म के मूल में ही व्यक्ति का कल्याण है, जीवन में अपने धर्म, देव, गुरू, माता-पिता को कभी नहीं भुलाना चाहिए। धर्म ही संकट के समय साथ देगा, सुख में सब साथ देते हैं, लेकिन दुख के समय धर्म ही साथ देता है। अपने संस्कारों, संस्कृति को आत्मसात करें। जिसने भी गुरू, माता-पिता को धोखा दिया, उनको कष्ट सहन करना पडा है। माता-पिता, गुरू के उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए। शिक्षा संस्कारों के साथ मिले उसे स्वीकार करना चाहिए। यह उदगार श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में शनिवार को महावीर कीर्तिस्तंभ मन्दिर में आयोजित 48 दिवसीय भक्ताम्बर महामण्डल विधान में व्यक्त किए।
मुनि विराग सागर महाराज ने कहा कि प्रभु का नाम, ज्ञान, ईश्वर की आराधना, जिनवाणी, गुरुवाणी करना चाहिए। धर्म के आगे दुनिया को झुकना ही पडता है। जितना धर्म रूपी बीज बोया गया है, मिट्टी में मिलकर फलीभूत होता है। सम्यक दर्शन, सम्यक दृष्टि अपनाते हुए जीवन व्यतीत करें। आज व्यक्ति स्वार्थ पूर्ति में डूबा हुआ है। अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास कर रहा है। एक व्यक्ति दूसरे से ईष्र्या करने लगा है। आज का इंसान दूसरों को नीचा दिखाने का कार्य करता है, दूसरों की वृद्धि को देखकर जलता है।
शांत एवं स्थिर चित्त वाला इंसान ही ज्ञान से परिपूर्ण
मुनि विनय सागर महाराज ने कहा कि कम ज्ञानवान ज्यादा दिखावा करता है। वहीं ज्ञान से परिपूर्ण इंसान शांत एवं स्थिर चित्त से भरा रहता है। उसे दिखावे से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि संसार में सभी क्रियाएं दो तरह से चलती हैं, एक पक्ष तथा दूसरा विपक्ष। इसी प्रकार इसका तात्र्पय है कि ईश्वर, संत एवं अच्छे कर्म तो मनुष्य के पक्ष हैं। राग-द्वेष, अपूर्णता, दिखावा मनुष्य के विपक्ष हैं। यह सब मनुष्य के स्वयं के हाथ में है कि उसे पक्ष में चलना है या विपक्ष में। अपना बुरा भला स्वयं इंसान के हाथ में होता है।
इन्द्रों ने कलशों से किया अभिषेक, ध्यान लगाकर की शांतिधारा
प्रवक्ता सचिन जैन आदर्श कलम ने बताया कि मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में केशरिया वस्त्रों में इन्द्रों ने कलशों से भगवान आदिनाथ का जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा- जोली जैन व पवन जैन परिवार ने शांतिधारा की। मुनि को शास्त्र भेंट समाज जनो ने सामूहिक रूप से किया। आचार्य विराग सागर, विनम्र सागर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन जोली, सपना जैन व पवन जैन परिवार ने किया।
भक्ताम्बर विधान में संगीतमय भक्ति नृत्य के साथ चढ़ाए महाअघ्र्य
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ने भक्ताम्बर महामण्डल विधान में जोली, सपना जैन एवं पवन जैन परिवार एवं इन्द्रा-इन्द्राणियों ने भक्ताम्बर मण्डप पर बैठकर अष्टद्रव्य से पूजा अर्चना कर भजनों पर भक्ति नृत्य करते हुए महाअघ्र्य भगवान आदिनाथ के समक्ष मण्डप पर समर्पित किए।