सागर, 22 जून। तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगस के साथ छेडखानी करने वाले आरोपी सोनू अहिरवार को दोषी करार देते हुए धारा 354 भादंवि के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 354-क के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 323(काउण्ट-02) के तहत चार माह का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। आरोपी यश कुमार अहिरवार को धारा 323 के तहत चार माह का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि सूचनाकर्ता (बालिका) ने 28 फरवरी 2022 को थाना सानौधा जिला सागर में रिपोर्ट लेख कराई कि 27 फरवरी को रात करीब 11:30 बजे उसके माता-पिता एवं दादी घर में थे। वह पढ़ रही थी, तभी उसे बाहर से आवाज आई, उसने उठकर बाहर देखा तो अभियुक्त सोनू अहिरवार वहां खड़ा था। उसने पूछा कि यहां पर क्या कर रहे हो, तो अभियुक्त सोनू अहिरवार ने बुरी नियत से उसका दाहिना हाथ पकड़ लिया और उसके साथ झूमा झटकी करने लगा। उसने रोका तो अभियुक्त सोनू ने उसे एक डंडा मारा जो उसे सिर में लगा। बालिका के चिल्लाने पर उसके पापा, चाचा, दादी एवं मां आ गए तो सोनू ने उसकी दादी को धक्का दे दिया, जिससे उन्हें पैर में चोट लगी। तभी अभियुक्त सोनू का भाई यशकुमार आ गया, जिसने बालिका एवं उसके परिवार वालों को गालियां दी एवं अभियुक्त यश ने रिपोर्ट करने पर जान मारने की धमकी भी दी। अभियुक्त यश को गाली देने से मना करने पर वह बालिका के पिता से लिपट गया तो बालिका के पिता गिर गए जिससे उन्हें दांतों में एवं दाहिने हाथ की कुहनी में चोट लगी। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना सानौधा पुलिस ने धारा 294, 323, 354-क, 506, 34 भादंसं एवं धारा 7/8 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 का अपराध आरोपीगण के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।