गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास

न्यायालय ने आरोपी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया

सागर, 03 जून। विशेष न्यायाधीश (अंतर्गत धारा 36(1) स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985) जिला सागर अब्दुल्लाह अहमद के न्यायालय ने कार से गांजे की तस्करी करने वाले आरोपी सुनील जाट को दोषी करार देते हुए स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम 1985 की धारा- 20(इ)(2)(ब) के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास एवं एक लाख रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक संजय कुमार पटैल ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि आठ सितंबर 2020 को थाना महाराजपुर प्रभारी को जरिये मुखबिर सूचना मिली कि एक सफेद रंग की कार क्र. एच.आर.39 डी.0663 में मादक पदार्थ रखा हुआ है, जो नरसिंहपुर से सागर की ओर जा रही है। मुखबिर की सूचना पर बताए स्थान तीतरपानी टोल प्लाजा पहुंचकर चैकिंग लगाई गई, चैकिंग के दौरान एक होण्डा अमेज कार सफेद रंग की जिसका क्र. एच.आर.39 डी.0663 नरसिंहपुर तरफ से आती दिखाई दी, जिसे रोककर वाहन में सवार व्यक्ति से नाम पूछने पर उसने अपना नाम सुनील पुत्र राजकुमार निवासी पेटवाड़ पतवार, जिला हिसार, हरियाणा का होना बताया और वाहन स्वयं का होना बताया। विधिक कार्रवाई उपरांत कार की तलाशी लेने पर उसके पीछे वाली सीट के नीचे बने बॉक्स में खाकी रंग की टेप में पैक कुल 17 पैकेट लिपटे हुए रखे मिले, जिनमें गांजा जैसा पदार्थ पाया गया, उक्त मादक पदार्थ की पहचान रगडक़र, सूंघकर एवं जलाकर मौके पर पहचान की गई। मादक पदार्थ को इलेक्ट्रॉनिक तराजू से तौल करने पर गांजे का कुल वजन 34 किलोग्राम पाया गया। उक्त समस्त कार्रवाईयों के पंचनामा स्वतंत्र साक्षियों के समक्ष तैयार किया गया। आरोपी का कृत्य धारा 8/20 एनडीपीएस एक्ट के तहत पाए जाने से उसे गिरफ्तार कर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना महाराजपुर में धारा 8, सहपठित धारा 20(इ)(२)(ब) एनडीपीएस एक्ट 1985 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपी के विरुद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।