सागर, 12 मई। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिग बालिका को बहला-फुसलाकर ले जाकर जबरन दुष्कर्म करने वाले आरोपी नारायण उर्फ नारान पटैल निवासी अंतर्गत थाना छानबीला को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-5(एम), सहपठित धारा 6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/एसटी एक्ट 1989 में तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(2)(व्ही-ए) एससी/एसटी एक्ट 1989 में पांच वर्ष सश्रम कारावास व एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि बालिका की मां (फरियादिया) ने 29 मार्च 2020 को थाना छानबीला में रिपोर्ट लेख कराई कि आज दोपहर एक बजे उसकी पुत्री जिसके कपड़े भूसे से गंदे थे रोते हुए आई, उससे रोने का कारण पूछा तो बालिका ने बताया कि जब वह चबूतरे के पास खेल रही थी, तभी अभियुक्त नारायण पटैल आया और वह उसे चॉकलेट देने का कहकर गल्ले में ले गया और वहां उसके साथ गलत काम किया। बालिका चिल्लाई तो अभियुक्त ने बालिका से घटना के बारे में किसी को न बताने के लिए और उसे पैसे देने के लिए कहा। घटना के बाद बालिका की मां और पिता अभियुक्त नारायण के घर शिकायत करने गए तो अभियुक्त नारायण ने उन्हें गालियां दीं, इसके बाद वह बालिका व उसके पिता के साथ रिपोर्ट करने थाने आई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना छानबीला पुलिस ने धारा 363, 376(2)(आई), 294 भादंसं एवं धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू), 3(1)(व्ही), 3(2)(व्ही-ए), 3(1)(ध), अजा एवं अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपरोक्त सजा से दण्डित किया है।