माता-पिता को कष्ट देना सबसे बड़ा पाप : मुद्गल

ग्राम गाता में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 29 अप्रैल। माता-पिता को कष्ट देना सबसे बड़ा पाप होता है, माता-पिता धरती पर भगवान का स्वरूप होते हैं, उनकी हमे सेवा करनी चाहिए। बुढ़ापे में भजन करेंगे लेकिन क्या गारंटी है कि बुढ़ापे तक हम जीवित रहेंगे। इसलिए मानव को बालपन से ही भगवान का भजन करते रहना चाहिए। बालपन में यदि भक्ति मिल जाए तो व्यक्ति को दुबारा जन्म नहीं लेना पड़ता उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और जवानी में भक्ति मिलने से दो बार जन्म लेना पड़ता है और बुढ़ापे में भक्ति करने से व्यक्ति को बार-बार जन्म लेना पड़ता है। यह बात ग्राम गाता में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन श्री लखन भाई मुद्गल ने कहीं।
कथा व्यास मुद्गल ने ध्रुव चरित्र का वर्णन किया, जिसे सुनकर श्रृद्धालु भाव विभोर हो गए। कथा में मेहगांव के पूर्व विधायक राकेश शुक्ला भी पहुंचे और महाराज से आशीर्वाद लिया। कथा परीक्षित एवं आयोजक राजेन्द्र सिंह भदौरिया ने ग्रामवासियों से व्यवस्था में सहयोग करने की अपील की। कथा के बाद सैकड़ों लोगों ने भण्डारे में बूंदी, पूरी, सब्जी की प्रसादी ग्रहण की।