सात लोक के स्वामी ‘शिवराज’

– राकेश अचल


राजनीति और नेताओं पर लिखने का बिल्कुल मन नहीं करता, किन्तु राजनीति में नेता इतनी तेजी से बेवकूफियां कर रहे हैं कि लिखे बिना रहा भी नहीं जाता। हालांकि लिखने से न राजनीति सुधर रही है और न नेता, लेकिन इसी वजह से लिखना भी तो बंद नहीं किया जा सकता। आज मैं लिख रहा हूं भूलोक पर रोजाना नए लोक बनाने की सनक पर। अब तक पढ़ा और सुना था कि दुनिया में तीन लोक होते हैं, इन तीनों लोकों के स्वामी को त्रिलोकीनाथ कहते हैं। लेकिन अब आपको ये जानकार हैरानी होगी कि हमारे सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने त्रिलोकीनाथ को पीछे छोड़ दिया है। वे आठ लोकों के स्वामी बनने जा रहे हैं।
एक कहावत है कि जब मुफ्त का माल लूटाने का मौका मिल जाए तो दिल बेरहम हो जाता है। ऐसा ही कुछ-कुछ शिवराज सिंह के साथ हो रहा है। इस बार शिवराज सिंह चौहान जनादेश से नहीं धनादेश से मुख्यमंत्री बने है। वे जानते हैं कि ये उनकी अंतिम पारी है, इसलिए राजकीय खजाना बेरहमी से लुटा रहे हैं। उदारमना शिवराज सिंह ने बीते 18 साल में राजकोष को सचमुच बेरहमी से लुटाया। पहले लाड़ली लक्ष्मियों पर और अब लाड़ली बहनों पर उन्होंने लुटाया तो नौकरशाही ने आगे बढक़र खजाने को खुद लूट लिया। कभी ई-टेंडर के नाम पर तो कभी डंपर घोटाले के नाम पर। कभी मनी ट्रेप हुआ, तो को कभी हनीट्रैप हुआ। कभी भर्ती घोटाला हुआ तो कभी पेपर लीक काण्ड हो गया। सिलसिला जारी है।
सौभाग्य से इस साल मप्र में चुनाव है। चुनावों को देखते हुए हमारे मुख्यमंत्री लोकाधिपति बनने पर आमादा है। उज्जैन में महाकाल के लिए करोड़ों के एक नए लोक के निर्माण से जो शरुआत हुई वो रुकने का नाम ही नहीं ले रही। वे जिस धार्मिक स्थल पर जाते हैं, वहां एक नए लोक के निर्माण की घोषणा कर आते हैं। जनता खुश हो या न हो लेकिन देवता शिवराज की मेहरबानी से गदगद हुए जा रहे हैं। मामा शिवराज ने अभी हाल ही में दतिया में माँ पीतांबरा के लिए सातवें लोक की स्थापना की घोषणा की थी कि इंदौर की सुमित्रा ताई फैल गईं। शिवराज सिंह ने उनकी मांग पर इंदौर में देवी अहिल्या बाई के लिए भी एक लोक बनाने का न सिर्फ ऐलान कर दिया बल्कि इसके लिए सरकारी जमीन भी आवंटित कर दी। तुरत दान, महा कल्याण।
लोक के अनेकानेक अर्थ होते हैं। ये संज्ञा भी है और सर्वनाम भी। आप इसे कुछ भी मान लीजिय। बचपन में हमने लोक के बारे में जितना पढ़ा और सुना था उसके मुताबिक लोक किसी देश या स्थान आदि के समाज को ही नहीं अपितु जनसामान्य, जनता, अवाम को भी कहते हैं। विश्व का एक विभाग, भुवन भी लोक ही कहा जाता है, जैसे- पृथ्वी लोक, पाताल लोक आदि। किसी देवता के रहने का विशिष्ट स्थान भी लोक ही कहा जाता है, जैसे- शिव लोक, विष्णु लोक आदि। अंत में संसार तो एक लोक है ही। लेकिन इनसे परे नेता और डबल इंजिन की सरकारें जो लोक बना रही हैं उनका जिक्र न भूत में था और न भविष्य में। वर्तमान में तो होता कैसे?
देश व प्रदेश में जनता जनप्रतिनिधि और सरकारें इसलिए चुनती है कि वे लोक यानि जनता का कल्याण करें। लोक प्रशासन करें, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा, जन प्रतिनिधि और सरकारें पृथ्वी लोक पर रहने वाली जनता यानि अपने मतदाता के लिए लोक बनाने के बजाय देवी-देवताओं के लोक बनाने में भिड़ गई है। सरकार मानती है कि जनलोक बनाने से क्या लाभ? 2018 में जनता ने आखिर शिवराज का तख्ता पलट ही दिया था न! इसलिए बेहतर है महाकाल का लोक बनाओ, शारदा माँ का लोक बनवाओ, सकलन देवी का लोक बनाओ। माँ पीतांबरा का लोक बनाओ। रानी अहिल्या देवी का लोक बनवाओ। ये खुश तो जनता तो झक मारकर खुश होगी।
जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए मोदी जी दिल्ली में नई लोक सभा की इमारत बनवा रहे है। वे लोक नीतियां बनाते हैं और उनके शिष्य देवी-देवताओं के लोक। देवताओं के लोक और उनकी आकाश छूती प्रतिमाएं बनाना ही जनता की सरकार का असली दायित्व है। ये दायित्व देश में मप्र की सरकार पूरी मुस्तैदी से निभा रही है। मप्र में अब तक आठ लोक बनाने की घोषणा हो चुकी है। कुछ बन चुके हैं और कुछ चुनाव के बाद यदि सरकार आई तो बन जाएंगे। न आई तो भी बनेंगे, क्योंकि मामला देवी-देवताओं का है। किसी दूसरे दल की सरकार भी इन लोकों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगी।
हमने विष्णु पुराण नहीं पढ़ा, लेकिन जिहोंने पढ़ा है वे कहते हैं कि लोक 14 प्रकार के होते हैं। इनका निर्माण माता पार्वती और भगवान शिव ने मिलकर किया है। भूलोक सातवें स्थान पर है। भूलोक के ऊपर छह और नीचे सात और लोक हैं। धरती के ऊपर के लोक ऊध्र्वा और नीचे के लोक आदोह कहलाते हैं। मैं आपको इन तमाम लोकों के नाम बता सकता हूं, लेकिन इनके बारे में जानकर आपको कोई लाभ होने वाला नहीं है। आपका और आपके नेताओं का लाभ उन लोकों में निहित है जो शिवराज सिंह चौहान बनवा रहे हैं। ये लोक ही अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोटों की बरसात करेंगे।
हमें शिवराज सिंह के लोक निर्माण अभियान पर कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि यदि शिवराज सिंह ये लोक बनाने के बजाय भवन विहीन स्कूलों के लिए नई इमारतें बनवाते तो कितना अच्छा होता? कितना अच्छा होता कि शिवराज सिंह चौहान ने अस्पताल भवन बनाए होते, ठीक वैसे ही जैसे लोक बनाए जा रहे हैं। लेकिन मेरे ख्याल से शिवराज सिंह चौहान का ख्याल कैसे मिल सकता है। मैं एक आम आदमी हूं और शिवराज सिंह एक खास आदमी हैं। शिवराज सिंह चौहान ने इसी धरती पर इतने लोक बनवा दिए हैं कि मप्र का कोई भी आदमी अब परलोक जाने कि बारे में सोच भी नहीं सकता। बेचारा यहीं भटकता रहेगा। उसका इहलोक सुधरे या न सुधरे लेकिन शिवराज सिंह और उनकी पार्टी का लोक-परलोक दोनों सुधर जाने वाला है।
मेरा जोर चलता तो मैं शिवराज सिंह चौहान का लोक निर्माण कि लिए सार्वजनिक अभिनंदन करता, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता, क्योंकि लोक निर्माण विभाग में अब गुणवत्ता की निगरानी कि लिए 36 मॉनीटर्स नियुक्त कर दिए गए हैं। लोक निर्माण विभाग कि प्रमुख सचिव और मंत्री चाहते हैं कि जितने भी नए लोक बनाए जा रहे हैं वे सब लोक निर्माण विभाग कि अधीन होना चाहिए, ताकि कुछ पुण्य इस विभाग में पाप करने वालों कि हिस्से में भी आएं। लेकिन अभी ये तय नहीं है कि देवी-देवताओं कि लोक अपना पुराना लोक निर्माण विभाग यानि लोनिवि बनाएगा या इसके लिए कोई अलग से विभाग बनाया जाएगा। या इनका ठेका किसी गुजराती कंपनी को दिया जाएगा?