ईश्वर की प्राप्ति निर्मल मन और निश्चल प्रेम से हो सकती है: सेवादास शास्त्री

ग्राम मानहड़ में चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 19 अप्रैल। ईश्वर को यदि प्राप्त करना है तो निर्मल मन और निश्चल प्रेम रखना होगा। राम चरित मानस में गोस्वामी जी ने कहा है कि निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा। आधार पर यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो हमें अपने मन को निर्मल रखना होगा, क्योंकि ईश्वर को छल और कपट कतई नहीं भाता है। यह बात ग्राम पंचायत मानहड़ में हार के कुआं पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन बुधवार को पं. सेवाराम शास्त्री ने कही।
पं. सेवाराम शास्त्री ने उद्धव प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि उद्धव को अपने ज्ञान का बड़ा अभिमान था, तब कृष्ण ने उनके अभिमान को नष्ट करने के लिए उन्हें अपना दूत बनकर गोकुल भेजा, गोकुल में आए उद्धव जी ने जब प्रेम में व्याकुल गोपियों को देखा तो उनके प्रेम विरह को दूर करने के लिए अपने ज्ञान के कई उपदेश दिए, कई प्रकार के ज्ञान उपदेशों के माध्यम से उनके विरह को दूर करने का प्रयास किया। अंत में उद्धव जी की मुलाकात राधा जी से हुई, राधा जी से मुलाकात होने के उपरांत उद्धव जी को अपने ज्ञान के अभिमान का ज्ञान हुआ, राधा जी ने उद्धव को बताया कि ईश्वर को यदि प्राप्त करना है तो अपने मन को निर्मल और अपना हृदय स्वच्छ रखना होगा।
इस अवसर पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य एवं कांग्रेस नेता राहुल भदौरिया भी उपस्थित रहे। उन्होंने कथा व्यास का माल्यार्पण कर स्वागत किया। साथ ही कहा कि सच्ची सेवा जनसेवा होती है, ईश्वर हमें यही पाठ सिखाता है, जीवन में जितना हो सके दूसरों के कल्याण के लिए कार्य करते रहना चाहिए, उस कार्य का माध्यम चाहे सामाजिक हो या राजनैतिक हमें कभी भी इस नेक कार्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। कथा में परीक्षित मंगल सिंह भदौरिया, सन्नूसिंह भदौरिया, राणासिंह भदौरिया, रामसिंह भदौरिया, नेपाल सिंह भदौरिया, राजासिंह भदौरिया, बेटालाल सिंह भदौरिया, महेन्द्र प्रताप सिंह भदौरिया, गिरधारी सिंह भदौरिया, लखन सिंह भदौरिया, पूरन सिंह भदौरिया, बंटू सिंह भदौरिया, राजपाल सिंह भदौरिया के अलावा सैकड़ा से अधिक श्रृद्धालु मौजूद थे।