गाय पूज्यनीय, माता का मिला दर्जा, फिर भी दुर्दशा का शिकार गौ माता

आलमपुर/भिण्ड, 15 अक्टूबर। हमारे सनातन धर्म में गाय को गौ माता माना गया है। यह भी मां शक्ति का ही रूप है। कहते हैं कि गाय की सेवा और दर्शन करने से सभी देवी-देवताओं के दर्शन हो जाते हैं। क्योंकि गौ माता में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास बताया गया है। इसीलिए गाय पूज्यनीय है। लेकिन वर्तमान समय में गाय की बहुत बुरी दुर्दशा हो रही है। गौ माता की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि हमारे समाज में ही रहने वाले कुछ ऐसे लोग हैं। जो अपना स्वार्थ पूरा होने के पश्चात गायों को सड़कों पर छुट्टा छोड़ देते हैं। गाय रखने वाले अनेक लोगों की मानसिक बदल चुकी है। जब गाय दूध देती है तब तो लोग उसको अपने घर में बांधकर रखते हैं और पूरा परिवार उसके दूध का सेवन करता है। लेकिन जब गाय दूध देना बंद कर देती है, तो उसको सड़कों पर छुट्टर छोड़ देते हैं। यही कारण है कि हमारे भिंड जिले में सड़कों पर आवारा गायों एवं गौवंश की तादाद निरंतर बढ़ती जा रही है। यदि जिले के नगरीय क्षेत्रों में देखा जाए तो हजारों की तादाद में भूखी-प्यासी गाय एवं बछड़े मुख्य मार्ग, बाजार एवं बस्ती के अंदर सड़कों पर बैठे नजर आएंगे और जब भूख से तड़पती यह गाय अपनी भूख मिटाने के लिए किसी के खेत या फिर बाजार में सब्जी, फल के ठेले पर मुंह मार देती है। तो लाठियां खाने के लिए मजबूर हो जाती है। सब्जी, फल विक्रेताओं में गायों के प्रति तो बिल्कुल भी दया की भावना नहीं रही, वह गायों पर बेरहमी से लाठियां भांजते हैं। यही नहीं लोगों द्वारा सड़कों पर छुट्टा छोड़ी गई गाय एवं बछड़े ट्रक, डंपर इत्यादि वाहनों की चपेट में आकर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं और अत्याधिक चोटिल होने पर बे-मौत मर रहे हैं।

गौशाला का अभाव, आखिर नप प्रशासन गायों को कहां रखे

यह भी सत्य है, गाय और आवारा पशुओं के सड़कों एवं मुख्य मार्गों पर बैठने से वाहन चालकों एवं पैदल निकलने वाले लोगों को परेशानी उत्पन्न हो रही है। इसके अलावा वाहनों की चपेट में आकर गाय एवं आवारा पशु दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। इसी के चलते जिलाधीश भिण्ड ने अभी हाल ही में जिले के समस्त नगर पालिका/ नगर परिषद अधिकारियों को आदेश जारी कर सड़कों से गाय एवं आवारा पशुओं को हटाने के निर्देश जारी किए है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि आलमपुर-दबोह सहित कुछ अन्य नगरीय क्षेत्र में गौशाला का अभाव है। ऐसी स्थिति में नगर परिषद प्रशासन सड़कों पर विचरण करने वाली गाय और आवारा पशुओं को आखिर कहां ले जाए।

कई वर्षों से की जा रही गौशाला के निर्माण की मांग

आलमपुर कस्बे में आवारा रूप से विचरण करने वाली गायों की समस्या को देखते हुए कस्बे के लोगों द्वारा पिछले कई वर्षों से शासन प्रशासन से नगरीय क्षेत्र आलमपुर में गौशाला निर्माण की मांग की जा रही है। लेकिन शासन प्रशासन द्वारा आलमपुर कस्बे में अभी तक गौशाला का निर्माण नहीं कराया गया। जबकि आलमपुर में गौशाला निर्माण हेतु करीब तीन चार साल पहले सरकारी अस्पताल के पास जगह भी चिन्हित हो चुकी है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है। कि आज दिन तक कस्बे में गौशाला का निर्माण नहीं हो सका। गौशाला के अभाव में आलमपुर कस्बे में देभई चौराहे, कालेज तिराहे, बस स्टेण्ड, विजय मंच, छत्रीबाग पर सैकड़ों की तादाद में गाय एवं आवारा पशु सड़क पर बैठे एवं खड़े हुए दिखाई देते हैं। गत रोज पहले देभई चौराहे पर अज्ञात वाहन चालक ने सड़क पर बैठी एक गाय के पैरों पर वाहन चढ़ा दिया। जिससे गाय गंभीर रूप से घायल हो गई। सड़क पर विचरण करने वाली गाय आए दिन दुर्घटना की शिकार हो रही हैं।

घायल एवं बीमार गायों की सेवा में लगे गौ सेवक

आलमपुर कस्बे में जन सहयोग से युवाओं द्वारा पिछले कई वर्षों से श्रीकृष्ण गौशाला का संचालन किया जा रहा है। जिसमें लावारिश घायल, बीमार गाय एवं गौवंश की सेवा की जा रही है। गौ सेवकों द्वारा घायल, बीमार गाय एवं गौवंश का उपचार तथा सेवा तब तक की जाती है। जब तक वह पूरी तरह से स्वास्थ्य न हो जाए। श्रीकृष्ण गौशाला के कार्यकर्ताओं को जैसे ही घायल या बीमार गौवंश की सूचना मिलती है। तो वह स्वयं के खर्चे पर वाहन लेकर मौके पर पहुंच जाते हैं और घायल, बीमार गाय एवं गौवंश को गौशाला में लाकर उसका उपचार शुरू कर देते हैं। अगर गौशाला में देखा जाए तो अनेक घायल, बीमार गायों का उपचार होता मिलेगा। गौ सेवक सैकड़ों लावारिश घायल, बीमार गायों का उपचार कर जान बचा चुके हैं। गौ सेवकों के इस पुनीत कार्य की लोग खुले मन से प्रशंसा करते हैं।