सामाजिक सरोकार निभा रही गंगादास की बडी शाला, देश और समाज कल्याण के लिए चार साल से चल रहा है अखंड संकीर्तन

वर्षगांठ पर गुडी पडवा को देवी स्थापना के साथ होगा पूजन हवन

ग्वालियर, 31 मार्च। शहर का प्रसिद्ध ऐतिहासिक धार्मिक स्थल सिद्धपीठ गंगादास की बडी शाला अपने धार्मिक क्रियाकलापों के साथ मानवता की सेवा करने में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। देश और समाज कल्याण के लिए शाला में पीठाधीश्वर महंत रामसेवकदास के सानिध्य में पिछले चार सालों से अनवरत अखंड श्रीराम नाम संकीर्तन चल रहा है और समाज कल्याण के इस अनूठे कार्य में ग्वालियर अंचल के दृष्टि बाधित युवा प्राणपण से अपना सहयोग दे रहे हैं।
शाला से जुडे सूत्रों ने बताया कि यह संकीर्तन तब शुरू हुआ जब देश में अचानक कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप फैला हुआ था। इस कठिन दौर में अपनी जीविका के लिए परेशान कोई दर्जन भर नेत्रहीन युवा सडकों पर दर बदर भटक रहे थे। उनके सामने भोजन आदि का संकट खडा हो गया। कोई भी उन्हें आश्रय देने को तैयार नहीं था, ऐसे में शहर के कुछ समाजसेवी लोगों ने इन दृष्टि बाधित युवाओं को सिद्धपीठ गंगादास की बडी शाला के महंत पूरण बैराठी, पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दासजी के पास भेजा और आग्रह किया कि वे उन्हें शाला में आश्रय दें। सामाजिक सरोकारों के प्रति सदैव आग्रही रहने वाले महंत रामसेवक दासजी इसके लिए सहर्ष तैयार हो गए। शाला में सभी दृष्टि बाधित बच्चों के आवास भोजन की व्यवस्था कर दी गई और उनकी वाकी जरूरतों वस्त्रादि का भी ध्यान रखा गया।
चार साल से जारी है अखंड रामनाम संकीर्तन
दृष्टि बाधित इन किशोर और युवाओं की संख्या लगभग 15 है। इनमें मुकुंद यादव, राजू अनुरागी, बंटी दास, राम लौटा, अमित राजपूत, बीरेन्द्र राजपूत, मनोज सोनी, सोनू परिहार, अर्जुन सेन, निशिकांत कौरव, रामकुमार बंसल, दशरथ, पंकज शर्मा, सूरज कुशवाह एवं सूरज ओझा के नाम शामिल हैं। इनमें से दस युवा संकीर्तन में रहते हैं जबकि पांच लोग विकल्प के रूप में है जो किसी का स्वास्थ्य खराब होने या कहीं बाहर जाने पर संकीर्तन से जुडते हैं। चूंकि ये सभी संगीत के जानकार हैं, सो तत्काल ही अखंड नाम संकीर्तन आयोजन समिति बनाकर इसमें शहर के ऐसे लोगों को जोडा गया, जो धार्मिक प्रवृत्ति के थे। नेत्रहीन बच्चों ने श्रीराम नाम का अखंड संकीर्तन शुरू कर दिया। वर्ष 2021 में गुडी पडवा से शुरू हुआ यह संकीर्तन अनवरत जारी है। ये संकीर्तन तब कोरोना जैसी महामारी से निजात पाने की कामना के साथ शुरू किया गया था। जो अब तक अनवरत चल रहा है। इसका उद्देश्य देश और समाज कल्याण है। इसके साथ ही शाला में अखंड ज्योति भी स्थापित की गई। सुबह से शाम और पूरी रात शाला का परिसर रामनाम संकीर्तन से गुंजायमान रहता है। ये दिव्यांग युवा जब अलग-अलग धुनों में रामनाम संकीर्तन करते हैं तो कानों में मिसरी सी घुल जाती है।शाला में आने वाले श्रद्धालु भी इन युवाओं के साथ संकीर्तन में शामिल होते हैं।
अखंड संकीर्तन मानव कल्याण के लिए यज्ञ
शाला के महंत स्वामी रामसेवक दासजी का कहना है कि रामनाम संकीर्तन एक यज्ञ है। जो मानव कल्याण के लिए शुरू किया गया है। इससे नेत्रहीन बच्चों को भोजन व मानदेय तो मिल ही रहा है, लोगों में सेवा की भावना भी पैदा हो रही है। ये राम नाम का ही प्रताप है कि समाज को कोरोना महामारी जल्द ही मुक्ति मिल गई। उन्होंने कहा कि जब तक सामथ्र्य है, तब तक संकीर्तन चलता रहेगा। वर्ष प्रतिपदा यानि गुडी पडवा के रोज संकीर्तन की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में शाला में पूजन हवन के साथ देवी स्थापना के कार्यक्रम भी किए जाएंगे।