ग्वालियर, 04 मार्च। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह के तहत मंगलवार को जिला एवं मंडल टोली के साथ उनकी स्मृतियों को ग्वालियर दक्षिण विधान सभा के पं. अटल बिहारी वाजपेई मंडल के नई सडक स्थित निवासरत पूर्व सांसद एवं पूर्व महापौर विवेक नारायण शेजवलकर एवं ग्वालियर पूर्व के वीर सावरकर मंडल में निवासरत भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक बांदिल, भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व साडा अध्यक्ष राकेश जादौन, कमल सिंह कटक शिंदे की छावनी में निवासी वरिष्ठ भाजपा नेता जंगबहादुर सिंह तोमर ने अटलजी के साथ बीते हुए ऐतिहासिक पलों को याद किया। भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जन्म शताब्दी समारोह की जिला एवं मंडल टोली के साथ में अपने अनुभवों सहित उनकी यादों को साझा किया। इससे पूर्व वरिष्ठजनों का शाल एवं श्रीफल पहनाकर उनका स्वागत किया।
पूर्व सांसद एवं पूर्व महापौर विवेक नारायण शेजवलकर ने श्रद्धेय अटलजी को याद करते हुए बताया कि जब स्व. माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस छोड दी थी, तब ऊपर घर पर ही अटलजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस होती थी, तब वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रेस वालों ने प्रश्न पूछा कि सिंधिया जी कौन से दल में हैं, तब उन्होंने कहा कि वह तो दलदल में हैं। जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी थी, तब अटल जी विदेश मंत्री बने थे, ग्वालियर में पहली बार आए तब मैं उनको लेने रेलवे स्टेशन पर गया था। वह ज्यादातर सर्किट हाउस में रुकते थे, तब उनसे मेरी मुलाकात होती रहती थी। उन्होंने कहा कि अटल जी संवेदनशील कुशल प्रशासक व कार्यकर्ताओं व जनता से सीधे बात करने वाले नेता थे। आज भाजपा का विस्तार व भाजपा की सफलता देख रहे हैं अटलजी जैसे नेताओं की मेहनत का फल है। अटलजी ऐसे नेता थे जिन्होंने सारे भारत का भ्रमण किया है।
वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक बांदिल ने अटलजी को याद करते हुए बताया कि मेरे पिताजी की मृत्यु के बाद जब एक साल बाद मेरे छोटे भाई की सगाई का कार्यक्रम था, तब हमने उनको सूचित किया कि आपको इस कार्यक्रम में रहना है। क्योंकि शादी के समय उनकी बहुत व्यस्तता थी। जब उन्होंने कहा कि मैं इस कार्यक्रम में जरूर आऊंगा, तब मैं उन्हें ताज एक्सप्रेस पर उनको लेने गया, तब मैं प्लेटफार्म पर जाकर खडा हो गया, उस समय आगे प्लेटफार्म पर अनूप मिश्रा की गाडी आकर खडी हो गई, जैसे ही अटलजी ट्रेन से उतरे तो अनूप जी ने कहा कि आओ घर चलें, तब उन्होंने कहा कि नहीं अशोक आया है, पहले मैं उससे बात कर लूं कैसा क्या कार्यक्रम है। तब वे मेरे पास आए मुझसे पूरा कार्यक्रम पूछा, कहां क्या होना है। इसके बाद उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से मिले उसके बाद वह अनूपजी के साथ निकलगए। उसके बाद मैं उनसे मिलने पहुंचा और उन्होंने मुझसे चर्चा की। इस बीच में 5 से 7 मिनट स्टेशन पर ही खडे रहे।
पूर्व साडा अध्यक्ष अशोक जादौन ने अटलजी को याद करते हुए बताया कि 1984 में जब अटलजी ग्वालियर से चुनाव लडने के लिए आए थे, तब उनके विरोध में कांग्रेस से सिंधिया जी थे, उस समय हम मतदान केन्द्रों पर सामान्य कार्यकर्ता के रूप में काम करते थे। भले ही हम वह चुनाव हार गए थे, लेकिन हमारे लिए यह सुखद रहा कि हम अपनी पोलिंग बूथ को जीतने में सफल रहे थे। वैसे तो अटल जी से कई स्थानों पर मिलना हुआ था, लेकिन जब अटल जी प्रधानमंत्री बनने के बाद ग्वालियर आए थे तब उनका स्वागत करने में नौ कार्यकर्ताओं में मेरा भी नाम था, जब वे एयरपोर्ट से आए तो उनसे मिलने के लिए 7 कार्यकर्ताओं को आगे भेज दिया, हम दोनों वहीं खडे रहे, तब उन्होंने हमको देखा तो मुस्कुरा दिए और हमको बुलाया और हमसे माला पहनी। वह हमारे जीवन का सबसे बडा सुखद पल था। क्योंकि वे इतने बडे पद पर विराजमान होने के बाद भी छोटे कार्यकर्ताओं से ऐसे मिल रहे थे, उस दिन मुझे जीवन की सबसे बडी प्रेरणा मिली, उस दिन से मैंने भी छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं की बात सुनी।
इस अवसर पर भजपा नेता जंगबहादुर सिंह तोमर ने अटलजी को याद करते हुए बताया कि अटलजी का घर मेरे घर के पास ही था और वह अपने घर आते रहते थे, हमारा घर भी नजदीक होने के कारण उनसे पारिवारिक संबंध थे। जब अटल जी आते थे तब वहां उनसे मिलने हम चले जाते थे और हमेशा पार्टी की बातें होती थी। अटलजी का सिद्धांत था कि अपना परिवार छोटा है, लेकिन मेहनत व परिश्रम करके एक दिन हम दिल्ली पर झंडा जरूर पर आएंगे और हमें निराश होने की जरूरत नहीं है।
इस अवसर पर जिलामंत्री एवं जिला संयोजक धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह, सह संयोजक अजय महेंद्रु, जिला मीडिया प्रभारी नवीन चौधरी, सोशल मीडिया प्रभारी अरविंद रघुवंशी, हेमंत चौपडा, मंडल अध्यक्ष कौशलेन्द्र राजावत, मंडल अध्यक्ष रमाकांत महते, पूर्व मंडल अध्यक्ष मनोज मुटाटकर, मंडल संयोजक शैंकी भसीन, अजय दीक्षित, मनोज वर्मा, विवेक भार्गव, गौरव बाजपेई सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।