– आचार्य सुबल सागर, मुनि विनय सागर ने भगवान आदिनाथ का 21 किलो का लाडू चढाया
भिण्ड, 28 जनवरी। आचार्य 108 सुबल सागर महाराज के निर्देशन में जिन सहस्त्रनाम विधान एवं महायज्ञ का मंगलवार को ऋषभ भवन बतासा बाजार भिण्ड में समापन किया गया। समापन उपरांत भगवान आदिनाथ का 21 किलो का लाडू भव्यता के साथ चढाया गया।
समापन के अवसर पर आचार्य 108 सुबल सागर महाराज ने विधान में बैठे युवाओं पर कंधों पर भार डालने की आवश्यकता है, जिससे युवा आगे आकर धर्म की प्रभावना करें और अपने बडों की आज्ञा का पालन करें। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि मेरे पिताजी ने मात्र नौ वर्ष की आयु में मुझे व्यापार हेतु भिण्ड से बाहर जाकर माल लाने को कहा था, तब मेरे द्वारा अपने पिता से कहा गया कि मैं अभी छोटा हूं, इतनी छोटी उम्र में कैसे दुकान का माल ला सकता हूं, मैं कभी कहीं गया नही हूं, मैं कैसा माल लेकर आऊंगा। उन्होनें कहा कि तुम अकेले ही माल लेकर आओगे, मैनें पिताजी की आज्ञा का पालन करते हुए माल पैक कराकर वापस भिण्ड आया तब उन्होंने कहा कि तुम अच्छे तरीके से माल लेकर आ गए हो। उन्होंने कहा कि समाज में विघटन है, सभी समाज के लोग एकत्रित होंगे तो अपना स्वयं का एक वर्चस्व होगा, क्योंकि संगठन में शक्ति होती है और संगठन मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि 16 मार्च 2025 को वीरभूमि बरासों में सुमेरू पर्वत का महाशिलान्यास होगा, जिसमें प्रत्येक घर से माताओं, बहिनों, भाईयों को आगे आकर कार्य करना चाहिए, जिससे समाज में एक नया इतिहास बनेगा।
मुनि 108 विनय सागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान और गुरुओं के सामने जाते है तो हमें दो कार्य करना होता है, पहला भगवान का अभिषेक करने जाओ तो कर्मों का नाश होता है और गुरुओं को आहर देने जो तो अच्छे कर्म का विकास होता है। जिन सहस्त्रनाम विधान की आराधना जन्म से है, जिसको हजारों-हजारों लोग करते है। तीर्थंकर उनके नाम की स्तुति करते हैं, चाहे मुनिगण, श्रावक हो जिन सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में आए पापों का नाश होता है। उन्होंने कहा कि जिन सहस्त्रनाम को बडी पूजा में शामिल किया गया है, जिन सहस्त्रनाम विधान में बैठने से सौधर्म जैसा कार्य होता है। भगवान आदिनाथ द्वारा हमारो कर्मों को नष्ट कर सुख की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम में विधानाचार्य मंच मार्तण्ड बाल ब्रह्मचारी आशीष भैया पुण्यांश, सह प्रतिष्ठाचार्य विवके जैन शास्त्री, संगीतकार संतोष एण्ड ग्रुप भरतपुर, मंच संचालन उमेश जैन शास्त्री ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। कार्यक्रम में सौधर्म इन्द्र विमल जैन इंजीनियर, ध्वजारोहणकर्ता रमेशचंद्र राजेन्द्र कुमार जैन, चक्रवर्ती श्रीमती रेखा-पवन कुमार जैन, यज्ञनायक निशा-राकेश जैन, रमेशचंद्र जैन (गढा वाले), माहेन्द्र इन्द्र मन्नीलाल संपत्त जैन (बंगाली), नरेन्द्र कुमार जैन (कनावर वाले) एवं अन्य महामण्डलेश्वर, मण्डलेश्वर, इन्द्र आदि लोग साथ थे।
आचार्यश्री के सानिध्य में जिन सहस्त्रनाम विधान का भव्यता के साथ समापन किया गया। कार्यक्रम में रविसेन जैन, अशोक जैन महामाया, विपुल जैन, वैभव जैन, रविन्द्र जैन, विशाल जैन, अर्पित लोहिया, बॉबी जैन, प्रवीण जैन, शैलू जैन, निक्कू जैन, निर्मलचंद्र जैन, आशु जैन, राजू जैन, पंकज जैन, विवेक जैन, नीरज जैन, वीरेन्द्र जैन, डॉ. रमेशचंद्र जैन, राजीव जैन, संजीव जैन, टप्पे जैन, रेखा जैन, सीमा जैन, ऊषा जैन, रानी जैन, मधु जैन, साधना जैन, संगीता पवैया, मीना जैन, समता पवैया सहित काफी संख्या में लोग एकत्रित थे।