नहर किनारे मिली नवजात बालिका को चेतना नाम से जाना जाए : जैन

– जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं पदेन जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने की अपील
– अनचाहे बच्चे को बाल कल्याण समिति महिला बाल विकास विभाग को कर सकते हैं समर्पित
– बच्चा समर्पित करने वाले अभिभावक अथवा माता-पिता की सारी पहचान रखी जाएगी गोपनीय
– किसी भी प्रकार की नहीं होगी पुलिस कार्रवाई प्रचलित

भिण्ड, 26 अगस्त। जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं पदेन जिला बाल संरक्षण अधिकारी संजय कुमार जैन ने बताया कि बरोही थाना अंतर्गत दो दिन पूर्व नहर के किनारे एक नवजात बालिका लावारिश स्थिति में मिली थी, जिसे पुलिस विभाग के समन्वय से तत्काल जिला चिकित्सालय के एनएससी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां बालिका का इलाज डॉक्टर की टीम द्वारा किया जा रहा है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं पदेन जिला बाल संरक्षण अधिकारी संजय कुमार जैन द्वारा सिविल सर्जन जिला चिकित्सालय भिण्ड को तत्संबंध में पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है कि उक्त बालिका पूर्ण रूप से जिला प्रशासन महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण में है एवं बालिका को अब से ‘चेतना’ के नाम से जाना जाएगा, बालिका को वर्तमान में अनाथ और ऑर्फन बेबी के नाम से न जानते हुए उसे चेतना के नाम से जाना जाए और सभी चिकित्सकीय दस्तावेजों में उसका नाम चेतना ही अंकित हो। उन्होंने यह भी अवगत कराया है कि जैसे ही बालिका की स्थिति में सुधार होता है तो तत्काल प्रशासन को सूचित करें, जिससे बालिका को किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत बाल देख-रेख संस्था शिशु ग्रह में प्रवेश दिलाया जाए और बालिका के संबंध में दत्तक ग्रहण की नियमानुसार कार्रवाई की जा सके।
जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं पदेन जिला बाल संरक्षण अधिकारी संजय कुमार जैन ने बताया कि प्राय देखने में आता है कि विभिन्न सामाजिक आर्थिक अथवा अन्य परिस्थितियों के कारण नवजात बच्चों को झाडियों में सार्वजनिक अस्पतालों में अथवा अन्य स्थलों पर लावारिश अवस्था में छोड दिया जाता है, जिससे बच्चों के जीवन को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसलिए ऐसी स्थिति में ऐसे दंपत्ति अथवा ऐसे अभिभावक जो किन्हीं सामाजिक आर्थिक एवं अन्य कारणों से अपने बच्चों को नहीं रखना चाहते अथवा पालन पोषण करने में असमर्थ हैं अथवा किन्हीं सामाजिक परिस्थितियों से वह अपने नवजात शिशु को नहीं रखना चाहते हैं वह अपने बच्चों को बाल कल्याण समिति महिला बाल विकास विभाग को समर्पित कर सकते हैं, ऐसे में उन पर किसी भी प्रकार की कोई भी कानूनी कार्रवाई प्रचलित नहीं की जाएगी एवं बच्चा समर्पित करने वाले अभिभावक अथवा माता-पिता की सारी पहचान गोपनीय रखी जाएगी, इससे नवजात का जीवन बच सकेगा और किन्हीं निसंतान दंपत्ति को दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया द्वारा बालक प्राप्त होने पर उनका परिवार पूर्ण हो सकेगा।
उन्होंने अवगत कराया कि यह सामान्य प्रक्रिया है, यदि किन्हीं भी सामाजिक परिस्थितियों के कारणों से अथवा अनचाही संतान किसी को नहीं चाहिए और किन्हीं मेडिकल कारणों से बच्चे का जन्म देना आवश्यक है तो ऐसे दंपत्ति अथवा अभिभावक बच्चों के जन्म उपरांत अपना बच्चा महिला बाल विकास विभाग बाल कल्याण समिति को समर्पित कर सकते हैं, निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार बच्चों के समर्पण की कार्रवाई पूर्ण की जाएगी और समर्पित करने वाले माता-पिता की सारी पहचान गोपनीय रखी जाएगी एवं किसी भी प्रकार की पुलिस कार्रवाई प्रचलित नहीं होगी।
इच्छुक माता-पिता के लिए बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया
जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं पदेन जिला बाल संरक्षण अधिकारी संजय कुमार जैन ने बताया कि बच्चा गोद लेने हेतु इच्छुक माता-पिता को सर्वप्रथम भारत सरकार की सीएआरए केन्द्रीय दत्तक ग्रहण अभिकरण की वेबसाइट पर जाकर अपना पंजीयन करना होगा, पंजीयन करते समय उनसे सामान्य जानकारी ली जाती है, जैसे उनके विवाह को कितने वर्ष हुए हैं, गोद लेने हेतु इच्छुक माता-पिता द्वारा लडका अथवा लडकी अथवा कोई भी, उनकी क्या प्राथमिकता रहती है और उनके आय संबंधी दस्तावेज अपलोड करने के पश्चात उनको एक वेटिंग नंबर प्राप्त होता है और इसके पश्चात उनके गृह अध्ययन करने के उपरांत समस्त जानकारी सीएआरए पर अपलोड की जाती है और जैसे ही उनकी वेटिंग क्लियर होती है तो संपूर्ण भारत में से किसी भी बाल देख-रेख संस्था का बच्चा उनको दत्तक ग्रहण हेतु उपलब्ध रहते है, एक बार में दो बच्चे दिखाए जाते हैं बच्चा रिजर्व करने पर संबंधित संस्थानों में पहुंचकर दत्तक ग्रहण की कार्रवाई जिला प्रशासन के सहयोग से पूर्ण की जाती है। उन्होंने बताया कि दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया संपूर्ण भारत में यही है, इस प्रक्रिया के अलावा किसी अन्य प्रक्रिया द्वारा गोद लिया गया बच्चा विधिक रूप से दत्तक ग्रहण योग्य नहीं समझा जाएगा और ऐसी स्थिति पाए जाने पर दत्तक करने वाले माता-पिता, देने वाले व्यक्ति और अथवा संस्थानों पर मानव तस्करी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पर आगे प्रकाश डालते हुए बाल संरक्षण अधिकारी अजय सक्सेना ने बताया कि किन्हीं भी परिस्थितियों में किसी लावारिश शिशु अथवा संरक्षण योग्य शिशु प्राप्त होने पर उसको सीधे किसी को देना अथवा गोद देना अपराध है और ऐसा करने वाले व्यक्ति पर मानव तस्करी अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। किसी भी नर्सिंग होम, मेटरनिटी होम, निजी अथवा अस्पताल अथवा पुलिस, किसी के भी द्वारा बच्चा किसी को भी सीधे तौर पर नहीं दिया जा सकता यदि किसी भी व्यक्ति को कोई नवजात लावारिस बच्चा प्राप्त होता है तो आवश्यक चिकित्सकीय उपचार करते हुए बाल कल्याण समिति जिला प्रशासन महिला बाल विकास को विभाग को सूचित करें। अन्य विस्तृत जानकारी जिला कार्यालय महिला एवं बाल विकास विभाग में संपर्क करने पर प्राप्त की जा सकती है।