श्रीराम के विरह में राजा दशरथ ने त्यागे प्राण

-मेहगांव के खेडापति मन्दिर परिसर में श्रीराम कथा में हो रहे हैं प्रवचन

भिण्ड, 02 अगस्त। मेहगांव नगर के प्राचीन खेडापति हनुमान मन्दिर पर शांतिदास महाराज के सानिध्य में चल रही श्रीराम कथा में अष्टम दिवस की कथा राम वनवास के साथ संपन्न हुई।
कथा सुनाते समय कथा वाचक पं. विमलेश त्रिवेदी महाराज बडे ही भावुक होते हुए कहा कि कैकई मां के दो वरदान और महाराज दशरथ के दो वचनों के कारण भगवान राम का वनवास हुआ। लेकिन ये लीला प्रभु श्रीराम की है क्योंकि यदि श्रीराम को वनवास नही होता तब ये धरा राक्षस विहीन नहीं होती। शिव भक्त रावण के सम्पूर्ण परिवार का उद्धार नहीं होता। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ने माता कैकेई के वनगवन को बडी उत्सुकता से स्वीकार कर प्रणाम किया और लक्ष्मण एवं जानकी के साथ बन को चले गए। महाराज दशरथ राम से अधिक प्रेम करते थे और राम को वनवास के वचन देने के विरह में श्रवण कुमार के अंधे माता पिता के श्राप को शिरोधार्य कर राम राम कहते कहते अपने प्राण त्याग दिए। कार्यक्रम स्थल पर संत 1008 शांतिदास महाराज एवं नगर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।