मुनि के सानिध्य में चल रहे 44 दिवसीय भक्ताम्बर स्त्रोत विधान का हुआ सामपन

भक्ताम्बर विधान में 108 परिवारों ने 5400 श्रीफल किए समर्पित
निष्ठापन पर भक्ताम्बर स्त्रोत महाअर्चना में भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक व पूजन कर महायज्ञ के साथ हुआ समापन

भिण्ड, 26 अगस्त। संस्कारमय पावन वर्षायोग समिति एवं सहयोगी संस्था जैन मिलन परिवार के तत्वावधान में श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य में 10 जुलाई से 26 अगस्त तक 44 दिवसीय भक्ताम्बर महास्त्रोत विधान 2688 बीजाक्षर महा अर्चना का सामपन शनिवार को कीर्तिस्तंभ मन्दिर परिसर में 108 मण्डलीय भक्ताम्बर विधान की रचना एक ही स्थान पर 108 परिवार द्वारा धार्मिक अनुष्ठान कर किया गया। अतिंम दिन इन्द्रों ने स्वर्ण कलशों से भगवान जिनेन्द्र का अभिषेक किया तथा विशेष मंत्रों से शांतिधारा हुई।

प्रवक्ता सचिन जैन ने बताया कि श्रमण मुनि विनय सागर महाराज के सानिध्य एवं विधानचार्य शशिकांत शास्त्री ग्वालियर के मार्गदर्शन में पीले वस्त्रों में इन्द्रों ने मंत्रों के साथ स्वर्ण कलशों से भगवान आदिनाथ को जयकारों के साथ अभिषेक किया। मुनि ने अपने मुखारबिंद मंत्रों से भगवान आदिनाथ के मस्तक पर इन्द्रा शांतिधारा की।
108 परिवारों ने 108 मण्डलीय पर 5400 श्रीफल से रचाया भक्तामर विधान
भक्ताम्बर महामण्डल महाअर्चना विधान में मुख्य भक्ताम्बर मंढना सौभाग्य परिवार के सुधा जैन अशोक जैन, शिवा जैन, शिवानी जैन, दूसरा परिवार रीना जैन, नीरज जैन, चक्रेश जैन सहपारिवार भिण्ड, तीसरा परिवार संतकुमार जैन, हीराबाई जैन, मनमोहन जैन, चौथा परिवार जोली जैन, सपना जैन, सुनील सुनीता जैन, सुमन जैन, तनु जैन भिण्ड, पांचवा परिवार मोहित रेखा जैन सपरिवार भिण्ड, छठवां परिवार डॉ. जितेन्द्र ज्योति जैन, डॉ. नरेन्द्र नेहा जैन भिण्ड एवं सातवें परिवार सुधा जैन, आयशा जैन, आकाश जैन सहित 108 परिवारों के इन्द्र-इन्द्राणियों ने केशरिया वस्त्र धारण कर अष्ट्रद्रव्य से भक्ताम्बर महाअर्चना विधान की महिमा का गुणगान कर पूजा आर्चना करते हुए मुनि विनय सागर महाराज ने अपने मुखारबिंद से मंत्रोच्चरण कर हर एक काव्य पूरा होने पर अलग-अलग परिवार द्वारा अपने-अपने विधान मण्डल पर भगवान आदिनाथ के चरणों में 108 महाअघ्र्य मढने पर समर्पित किए। विधान में 5400 श्रीफल नरियल में समर्पित किए गए। महाअर्चना में भक्तो की भक्ति नृत्यकर जयकारो से उमड पडी।
मनुष्य सच्चा सुख और संसार की सुख सुविधाएं चाहता है : विनय सागर
श्रमण मुनि विनय सागर महाराज ने धर्मसभा में सांबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य सच्चा सुख और संसार की सुख सुविधाएं चाहता है, पर उसके अच्छे बुरे कर्म के अनुसार ही अच्छा और बुरा समय मिलता है। मनुष्य के द्वारा किए गए कर्म ही उसके जीवन का निर्णय करते हैं। कर्मों की गति बडी न्यारी होती है। कर्मों का न्यायालय ऐसा होता है, जहां सबके लिए सामान्य न्याय होता है। कर्म ही मनुष्य को हंसाते और रुलाते हैं। व्यक्ति के किए गए कर्मों के अनुरूप ही प्रतिफल मिलता है। अगर द्रव्य मंगल है, क्षेत्र मंगल है और काल मंगल के बाद भी भाव मंगल न हों तो सब व्यर्थ है।