पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से कम उम्र में आने लगी विकलांगता

सैंपल लेने स्टेशन पुरा गांव में पहुंची इको सोल्यूशन टीम, कहा-इस पानी को कतई न पिएं

भिण्ड, 24 जून। गोहद जनपद की रायतपुरा पंचायत के मजरा स्टेशन पुरा के पानी में फ्लोराइड की मात्रा तीन गुना अधिक है। इसी वजह से विकलांगता जैसी बीमारियां फैल रही हैं। इस पानी का पीने के लिए बिल्कुल भी उपयोग ना करें। यह बात शुक्रवार को इको सोलूशन संस्था की टीम के साथ इस गांव में पहुंचे यतेन्द्र अग्रवाल ने ग्रामीणों से कही। उनके साथ वन विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी मौजूद थे।
यतेन्द्र अग्रवाल ने ग्राम स्टेशन का पुरा, धमसा का पुरा, रायतपुरा में 20 से ज्यादा पानी के सैंपल जांच किए हैं। जिनमें फ्लोराइड की मात्रा तीन गुना ज्यादा निकली है। आधा सैकड़ा से अधिक परिवारों में दिव्यांगता का प्रमुख कारण पानी में फ्लोराइड की मात्रा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की जांच में भी पाई गई थी। जिसके बाद हेडपंप से पानी पीने के लिए बंद करा दिया गया और एक हैण्डपंप में पानी पीने योग्य निकला था। जिसमें समर्सिबल मोटर डालकर पानी पाइप के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा तीन गुना अधिक है। उन्होंने ग्रामीणों को सलाह दी कि इस पानी का बिल्कुल भी उपयोग पीने के लिए ना करें। उन्होंने बताया कि में पूरे देश में इको सोल्यूशन संस्था के माध्यम से पानी में फ्लोराइड मात्रा खत्म कर उसे शुद्ध पीने के लिए उपलब्ध कराने का काम कर रही है। एक फिल्टर बनाया है जो बिना बिजली के चलता है, जिसका उपयोग कर यहां के नागरिक शुद्ध पानी पी सकते हैं। उन्होंने नागरिकों को किट की जानकारी दी, जिसके माध्यम से वे कहीं भी, कभी भी शुद्ध पानी की जांच स्वयं कर सकते हैं। जिसमें पानी में पाए जाने वाले आयरन फ्लोराइड कैल्शियम की जानकारी बड़ी आसानी से लगाई जा सकती है। उनकी टीम ने यहां के पानी के सैंपलो की जांच के बाद इन परिवारों को फिल्टर प्लांट उपलब्ध कराने की भी बात कही है। यह पानी पशु जानवरों के लिए भी उतना ही खतरनाक है जितना इंसानों के लिए। पीने के लिए यह पानी बिल्कुल भी उपयोग ना करें।

यहां बता दें कि गोहद जनपद में राष्ट्रीय राजमार्ग से कुछ ही दूरी पर स्टेशनपुरा गांव में पिछले कुछ साल से एक रहस्यमयी बीमारी ने पैर पसारे हैं। यहां 25 साल की उम्र के बाद लोगों में विकलांगता आना शुरू हो जाती है। वहीं 40 साल के बाद उनकी हड्डियां बार-बार टूटने लगती हैं। गांव के अंदर हर दूसरे घर में लोग इस बीमारी से पीडि़त है। 350 की आबादी वाले इस गांव में 45 घर है। करीब हर घर में 25 साल से अधिक उम्र के लोगों के पैरों में टेढ़ापन है, 40 की उम्र आते-आते लोगों की हड्डियां टूटने लगती हैं। कुछ लोगों के दांत भी झड़ रहे हैं। कुछ घरों में तो बच्चों में भी ये समस्या दिखाई देती है। लोग कैल्शियम की कमी से लेकर आनुवांशिक बीमारी तक का अंदेशा लगा रहे थे, लेकिन अब करीब तीन दशक से जारी इस रहस्यमयी बीमारी का पता चल गया है, ये बीमारी पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा होने से फैली है। स्टेट लैब भोपाल की रिपोर्ट आने के बाद इसका खुलासा हुआ है।