सागर, 15 मई। तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) जिला सागर नीलम शुक्ला की अदालत ने नाबालिगा को शादी का झांसा देकर भगा ले जाकर जबरन दुष्कर्म करने वाले आरोपी राजू पटैल निवासी अंतर्गत थाना सुरखी को दोषी करार देते हुए धारा 366 भादंवि में पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(1) के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(3) के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा-5(एल), सहपठित धारा-6 पॉक्सो एक्ट के तहत 20 वर्ष सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत तीन वर्ष सश्रम कारावास एवं 500 रुपए अर्थदण्ड, धारा-3(2)(व्ही) एससी/एसटी एक्ट 1989 के तहत आजीवन सश्रम कारावास व पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। न्यायालय ने बालिका के पुर्नवास के लिए उसे क्षतिपूर्ति के रूप में युक्तियुक्त प्रतिकर चार लाख रुपए दिए जाने का आदेश भी दिया है। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की।
जिला लोक अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी के अनुसार घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता (बालिका के पिता) ने 29 नवंबर 2021 को थाना-सुरखी में रिपोर्ट लेख कराई कि 28 नवंबर के रात्रि करीब 9.30 बजे बालिका शौच का कहकर बाहर गई थी, जो बहुत देर तक वापस नहीं आई, जिसकी तलाश करने पर भी वह नहीं मिली। बालिका को अभियुक्त राजू पटैल द्वारा बहला फुसलाकर भगाकर ले जाने का संदेह व्यक्त किया। 30 नवंबर को बालिका के दस्तयाब पर उसने बताया कि 28 नवंबर को रात करीब 9.30 बजे अभियुक्त राजू पटैल उसे शादी का झांसा देकर बहला फुसलाकर भगा ले गया और उसकी मर्जी के बिना उसके साथ बार-बार जबरन दुष्कर्म किया एवं घटना दिनांक के पूर्व भी अभियुक्त ने बालिका के घर में शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करना बताया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किए गए, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया, अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना सुरखी पुलिस ने धारा 366क, 376, 376(2)(एन), 450, 376(3) भादंसं एवं धारा 3/4, 5एल/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई), 3(2)(व्ही), अजा एवं अजजा (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 का अपराध आरोपी के विरुद्ध दर्ज कर विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। जहां अभियोजन द्वारा साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। विचारण उपरांत तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट 2012) नीलम शुक्ला के न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।