जीव माया से मोहित होकर अपने मार्ग से भ्रमित हो जाता है : शास्त्री

सिद्धबाबा मन्दिर पर चल रही है श्रीमद् भागवत कथा

भिण्ड, 27 अप्रैल। जीव और ब्रह्म में बस यही अंतर है कि जीव माया से मोहित होकर अपने मार्ग से भ्रमित हो जाता है, जबकि ब्रह्म अपने लक्ष्य को ध्यानपूर्वक रखते हुए संसार में लीलाएं करते हुए आगे बढ़ता है। यह उद्गार ग्राम पर्रावन और धमसा के बीच स्थित सिद्धबाबा मन्दिर पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा में पांचवे दिवस कथा व्यास पं. अनमोल कृष्ण महाराज वृन्दावन धाम ने योगेश्वर भगवन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए व्यक्त किए।
कथा व्यास पं. अनमोल कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्तन पान करते हुए पूतना का बध किया, इन्द्र की पूजा बंद कर गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई, इन्द्र ने क्रोधित होकर मूसलाधार वर्षा करवाई तब गोकुल वासियों की कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर रक्षा की, नगर के ग्वालबाल के साथ बाल लीलाओं के साथ-साथ सखियों के माखन को चुराकर खाने लगे और सबके चितचोर व माखन चोर कहलाए। उन्होंने कहा कि भगवान और इंसान में बस यही तो फर्क है कि इंसान अपने लक्ष्यों पर नजर रखते हुए काम करता है और अपने किए हुए कर्मों का भोक्ता बनता है, परंतु भगवान का कर्म निष्काम होकर धर्म की रक्षार्थ होकर सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना को प्रेरित करता है, मनुष्य के कर्म सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय हो तो मनुष्य भी कर्मफल से मुक्त रहता है।

श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा सुनकर भाव विभोर होकर श्रौता झूम उठे। कथा में मुख्य यजमान विश्वनाथ उपाध्याय धमसा, रामनिवास शर्मा श्रीराम धर्मकांटा मालनपुर, राज्यमंत्री ओपीएस भदौरिया, केशव देसाई सहित सैकड़ों श्रोता शामिल हुए।