नई दिल्ली। तेज गति से दौडने वाली वंदे भारत ट्रेन में अब सोते हुए सफर करने का सपना भी जल्द ही पूरा होने वाला है। रूसी कंपनी को इसके डब्बे बनाने का ठेका दिया गया है। रुस की कंपनी थर्ड एसी के डिब्बे बनाएगी। टीएमएच -आरवीएनएल नामक इस कंपनी ने सबसे कम बोली लगाकर टेंडर को जीता है।
बता दें कि इसमें टीएमएच एक रूसी कंपनी है लेकिन आरवीएनएल (रेल विकास निगम लिमिटेड) भारतीय रेलवे की ही एक इकाई है।यह एक ट्रेन 120 करोड़ रुपये में बनाकर देगी। कंपनी को 120 रैक्स बनाने का ठेका मिला है जिसके लिए महाराष्ट्र के लातूर में जरूरी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। वहीं, इनका निर्माण किया जाएगा। रेलवे के अनुसार, लेटर ऑफ अवॉर्ड (एलओए) जारी कर दिया गया है। टेंडर जीतने की इस रेस में दूसरे नंबर में भेल -टीटाग्रह का गठबंधन रहा। टीटागढ़ वैगन्स को पुणे मेट्रो के लिए एल्यूमीनियम ट्रेन बनाने के लिए जाना जाता है। यह कंपनी विदेशों में भी ट्रेनों का निर्यात करती है। इस कंसोर्टियम ने प्रति ट्रेन करीब 140 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। अभी इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि कब तक पहली स्लीपर वंदे भारत बनकर तैयार हो जाएगी। बोली जीतने वाली कंपनी ने इसके लिए 200 करोड़ रुपये गारंटी बॉन्ड के तौर पर जमा कर दिए। इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत करीब 50,000 करोड़ रुपये है। टेंडर जीतने वाली कंपनी 35 साल के लिए वंदे भारत की देखरेख का काम भी करेगी।स्लीपर वंगे भारत में एक फर्स्ट एसी, 3 सैकेंड एसी और 11 थर्ड एसी वाले कोच लगाए जाएंगे। गाड़ी का पहला और आखिरी डिब्बा दिव्यांगों को भी ध्यान में रखकर बनाया जाएगा ताकि उन्हें ट्रेन से चढ़ने उतरने में कोई परेशानी न हो। दरअसल, टीएमएच-आरवीएनएलऔर भेल-टीटाग्रह दोनों ही इसके लिए टाटा से चर्चा कर रहे थे। टाटा स्टील पहले से भी 22 वंदे भारत में सीटों और 16 वंदे भारत में इंटीरियर का काम कर रही है। दोनों ही प्रोजेक्ट की कीमत कुल मिलाकर 124 करोड़ रुपये है।गौरतलब है कि अभी तक जो वंदे भारत ट्रेनें चलाई जा रही हैं उनमें केवल बैठने की व्यवस्था है। स्लीपर ट्रेन के लिए इंटीरियर पैनल संभवत: टाटा स्टील द्वारा दिया जाएगा।