कृत्रिम पैर लगाने की सहायता ने रामप्रकाश को दिया जीने का सहारा

भिण्ड, 16 जनवरी। दिव्यांगजन भी समाज का एक महत्पूर्ण अंग होते हैं, उनका सहयोग करना हम सभी का दायित्व है, दिव्यांगजनों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। मप्र सरकार द्वारा इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए दिव्यांगों के लिए अनेक सरकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। जिससे प्रदेश के दिव्यांगों को भी जीने का सहारा मिल रहा है। जिस प्रकार बीमारी में लकवा होने के कारण अपना एक पैर कमजोर हो जाने से दिव्यांग रामप्रकाश शाक्य को भी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार, भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) तथा जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सामाजिक अधिकारिता शिविर अंतर्गत कृत्रिम पैर लगाने की छोटी सी सहायता से ही उनका जीवन संवर गया और उन्हें पुन: जीने का सहारा मिला।
दिव्यांग रामप्रकाश पुत्र गोरेलाल शाक्य फूफ कस्बे के वार्ड क्र.एक के निवासी हैं। वे बताते हैं कि बचपन में बीमार हो जाने से उन्हें लकवा हो गया था, जिससे उनका एक पैर कमजोर हो गया। जिसकी वजह से वो चलने फिरने और अपनी दैनिक दिनचर्या के कार्य करने में समर्थ थे। बचपन तो गुजर गया, जैसे जैसे बड़े हुए तो उम्र के साथ साथ परेशानियां बढऩे लगीं। रामप्रकाश को अपना जीवन ही बेकार लगने लगा, लेकिन मप्र सरकार और जिला प्रशासन ने सुध ली और उनको दिव्यांग परीक्षण शिविर में बुलाकर उनके कृत्रिम पैर लगाने के लिए परीक्षण किया। साथ ही उनकी दिव्यांग पेंशन चालू कर आर्थिक रूप से मदद की।
मप्र सरकार और जिला प्रशासन की ओर से दिव्यांग रामप्रकाश को मिली मदद से उन्हें पुन: जीने का सहारा मिला और आज वह अपने परिवार का भरण पोषण, सरलता से आवागमन के साथ ही अपने दैनिक दिनचर्या के कार्य सुगमतापूर्वक कर सकते हैं। रामप्रकाश ने अपनी खुशी को व्यक्त करते हुए दिव्यांग किसी का मोहताज ना रहे और स्वंय अपने कार्यों को अंजाम दे सके। दिव्यांग होना कोई अभिशाप नहीं हैं। योजनाओं का लाभ उठाकर दिव्यांग समाज में सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत कर सकते हैं। ऐसी सोच रखने वाले शासन एवं प्रशासन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।