शासकीय उचित मूल्य दुकान मारपुरा पर भ्रष्टाचार चरम पर

उपभोक्ताओं का कहना तीन माह से नहीं मिला है फ्री वाला राशन

भिण्ड, 04 दिसम्बर। शासकीय उचित मूल्य की दुकान मारपुरा पर भ्रष्टाचार अब चरम पर है, गरीब उपभोक्ताओं के साथ जम कर धोखाधड़ी की जा रही है। आर्थिक तंगी के कारण कोई गरीब या मजदूर भूखा न रहे इसके लिए सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है, जिसके तहत राशन कार्ड से गरीब परिवारों को खाद्यान्न मुहैया कराया जाता है। लेकिन यहां इस व्यवस्था में भ्रष्टाचार का घुन सा लग गया है, समृद्ध लोगों के लिए भले ही कुछ मात्रा में मिलने वाला गेहूं, चावल कोई मायने नहीं रखता होगा, परंतु यह गरीबों के लिए पेट भरने का अहम साधन होता है। मजबूरन गरीब परिवारों को पेट भरने के लिए दिन रात मजदूरी करनी पड़ रही है। ऐसे कई लोगों की हकमारी हो रही है।
प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री दोनों योजनाओं के अंतर्गत हर हितग्राही को पांच किलो पर व्यक्ति से राशन सामग्री बाटने के लिए भेजी जाती हैं। इन सहकारिता विभाग में बैठे भ्रष्ट अधिकारी और सचिव की जुगलबंदी ने इन गरीब हितग्राहियों का राशन भी खाने से बाज नहीं आते है। ग्रामीण अंचलों में देखा जाए तो अब तक गरीबों को सिर्फ मुख्यमंत्री योजना वाला ही राशन दिया गया है, पर प्रधानमंत्री योजना फ्री वाला राशन आज तक किसी भी हितग्राही को नहीं दिया गया। अब सवाल यह है कि यह राशन किस की जेब में गया। इस राशन का कोई अता-पता नहीं है। मजे की बात तो यह है कि यदि वरिष्ठ अधिकारी सरकारी योजनाओं की समय-समय पर गांव में चौपाल लगाकर अवलोकन करते रहते तो आज सरकारी योजना धरातल पर नजर आती।

उपभोक्ता कहना- महीने में सिर्फ दो-तीन दिन खुलती है दुकान

इस विषय में मीडिया कर्मियों ने जब गरीब उपभोक्ताओं से बात की तो उन्होंने कहा कि हमें दिवाली से अब तक सिर्फ दो बार ही राशन मिला है, हमें पता ही नहीं चलता कि कब कितना राशन बटने के लिए आया है और कब कितने समय मिलेगा। वैसे तो दुकान पर लिखा रहता है कि दुकान खुलने का समय 10 बजे से चार बजे तक है, परंतु दुकान कभी 10 बजे से चार बजे तक खुलती नहीं है। महीने में दो से तीन दिन के लिए दुकान खोली जाती है। अब वह दो से तीन दिन कौन से हैं यह भी पता नहीं रहता, उसी बीच यदि अचानक से आपको पता चल जाए कि आज राशन बट रहा है, उसी दिन ले लो तो सही, वरना राशन सामग्री मिल पाना मुश्किल है। यदि दुकान वालों से पूछो कि अगले महीने किस तारीक में राशन बंटेगा, तो बोलते हैं कि अभी का ले जाओ, अगले महीने आएगा तो पता चल जाएगा, कब बंटना है। यह हाल सिर्फ मारपुरा सहकारी संस्था का ही नहीं दबोह के सहकारिता सोसाइटी से लगने वाली अधिकांश उचित मूल्य की दुकानों का है।

आखिर कहां गई दूसरी योजना में बटने वाली राशन सामग्री

अब दूसरी योजना के अंतर्गत मिलने वाली राशन सामग्री कहां गई, यह तो केवल सेक्रेटरी ही बता सकते हैं। खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पारदर्शिता के लिए उपभोक्ता भण्डारों के संचालको को दुकानों के बाहर स्टॉक सूची लगाना अनिवार्य है, जिसमें महीने के राशन का सारा विवरण लिखा होता है कि इस महीने में उपभोक्ता भण्डार को कितना राशन प्राप्त हुआ है एवं संचालक द्वारा कितना राशन वितरण किया गया है, परंतु नगर में सारे नियमों को ताक पर रख कर यह दुकानें बहुत दिनों से संचालित की जा रही हैं, जिसके विषय में आज तक किसी भी अधिकारी ने पूछताछ नहीं की, तो अब क्या पूछताछ करेंगे।

इनका कहना है-

मुझे तीन माह से सिर्फ पैसों वाला ही राशन मिला है, फ्री वाला नहीं मिला, जब हम सेकेट्री से फ्री वाला राशन मांगते हैं तो कह देते है कि अभी नहीं आया, आएगा तब मिल जाएगा, ऐसे ही तीन महीने हो चुके हैं, दुकान खुलने का कोई निश्चित समय नहीं है।
अशोक, उपभोक्ता, निवासी डडुआ
मैं इसे दिखबाता हूं, इसकी जांच करबाता हूं।
आरए प्रजापति, अनुविभागीय अधिकारी लहार
मैं सोमवार को उपभोक्ता से गांव में जाकर ही मिलूंगा, उनकी समस्या सुनकर जांच कर उचित कार्रवाई कि जाएगी।
सुनील मुदगिल, फूड इंस्पेक्टर