झाँसी में आयोजित हुई गीतिकाव्य संगोष्ठी, अनेक संस्थाओं ने किया भाषा विज्ञानी

डॉ. पाठक को मिला सारस्वत सम्मान

झाँसी, 26 अगस्त। विलासपुर छत्तीसगढ़ से पधारे देश के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार व प्रसिद्ध भाषा विज्ञानी डॉ. विनय कुमार पाठक के सम्मान में एक संगोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ कवयित्री डॉ. सुमन मिश्रा के खाती बाबा स्थित ‘पंचवटी’ आवास पर किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ माँ सरस्वती के पूजन हुआ। संगोष्ठी की आयोजिका डॉ. सुमन मिश्रा ने माँ वाणी की वंदना निवेदित की।

संगोष्ठी में अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला भिण्ड की इकाई अध्यक्ष आदरणीय डॉ. सुखदेव सिंह सेंगर द्वारा डा.पाठक को अंगवस्त्र व सम्मान पत्र से सम्मानित किया। वहीं बुंदेलखंड सांस्कृतिक अकादमी के निदेशक डा.रामशंकर भारती तथा मंत्री डॉ. सुमन मिश्रा ने डा.पाठक अकादमी की ओर से सम्मान पत्र व अंगवस्त्रम भेंटकर सम्मानित किया।


संगोष्ठी का संचालन कर रहे लोकसंस्कृतिकर्मी व साहित्यकार डॉ. रामशंकर भारती ने भाषा विज्ञानी डा.विनय कुमार पाठक के साहित्यिक अवदान पर अपना उद्घाटन वक्तव्य दिया। प्रख्यात कवयित्री व गायिका प्रीति प्रसाद ने अपने गीत प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विनय कुमार पाठक ने गीति काव्य परंपरा की चर्चा करते कहा कि जितनी प्राचीन हमारी सृष्टि है गीत भी उतना ही प्राचीन है। मनुष्य को होंठों से पहली बार गीत ही मुखरित हुआ है। गीत रस संस्कृति है। गीत अनादि हैं । गीत की सत्ता अनंत है। उन्होंने हिन्दी साहित्य के इतिहास में गीत के 18 वीं शताब्दी में उद्भव को लेकर लिखे गए इतिहास पर अपनी कड़़ी आपत्ति जताई।
संगोष्ठी की अध्यक्षता भाण्डेर के प्रसिद्ध साहित्यकार राधा कृष्ण पाठक ने की। गोष्ठी में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित प्रताप नारायण दुबे, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिला मंत्री विजय प्रकाश सैनी, लाजवंती संस्था के महासचिव कृष्ण मुरारी श्रीवास्तव सखा , निवाड़ी डिग्री कालेज की प्रोफेसर डा. पायल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर झाँसी के अनेक साहित्यकारों ने डा. विनय कुमार पाठक को अपनी पुस्तकें भेंट की। संगोष्ठी का संचालन डा.रामशंकर भारती ने किया तथा अंत में आदरणीय अशोक कुमार मिश्रा ने गोष्ठी म़ें पधारे समस्त साहित्यकारों के प्रति आभार जताया।