सुदामा चरित्र की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्घालु

दंदरौआ महंत रामदास महाराज ने श्रृद्धालुओं को दिया आशीर्वाद
गोहद के ग्राम करवास में श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

भिण्ड, 09 फरवरी। जिले के गोहद विकास खण्ड के ग्राम करवास में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का हवन-पूजन के साथ समापन हो गया। कथा व्यास महामण्डलेश्वर श्री रामदास महाराज के परम शिष्य पं. अतुल कृष्ण शास्त्री ने अंतिम दिन सुदामा चरित्र की कथा का विस्तार से नाट्य वर्णन किया। कथा में कथा पारीक्षत मुन्नी देवी-रामजी लाल (लालजी) उपाध्याय को पारीक्षत बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


उन्होंने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भक्त रहे हैं। वह जीवन में जितने गरीब नजर आए, उतने वे मन से धनवान थे। उन्होंने अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया था। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रृद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो उन्होंने सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए।
इस मौके पर दंदरौआ धाम के महंत श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री रामदास महाराज ने कथा पण्डाल में मौजूद श्रृद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य भवसागर पार होता है। उन्होंने श्रोताओं से गुरु दक्षिणा मांगते हुए कहा कि जो लोग कथा सुन रहे हैं वे शराब, तंबाकू, गुटका, बीड़ी, सिगरेट तथा अन्य प्रकार के नशा छोडऩे का वचन गुरु दक्षिणा में हमें दे दें। हम उन्हें आशीर्वाद देते हैं कि उनका परिवार सदैव फलता-फूलता रहेगा और धन-धान्य से संपन्न रहेगा। महिलाओं ने भजन कीर्तन किए। कथा सुनने आए श्रृद्धालुओं ने भक्ति रस का पान किया। समापन पर कथा व्यास अतुल कृष्ण शास्त्री ने विधि-विधान से हवन कराया।