मानव को प्रेरणादेती है हरि कथा : रामदास महाराज

खैरापति सरकार मन्दिर मेहदौली में सनातन धर्म सम्मेलन आयोजित

भिण्ड, 28 जनवरी। खेड़ापति सरकार हनुमान मन्दिर ग्राम मेहदोली में चली तीन दिवसीय श्री रामकथा एवं सनातन धर्म सम्मेलन के समापन अवसर पर प्रवचन देते हुए दंदरौआ धाम के श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत रामदास जी महाराज ने कहा कि संत का समागम हो और हरि की कथा हो, यह दोनों चीजें बहुत दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि जिस स्थान पर संत के दर्शन और प्रवचन मिलते हैं, साथ ही श्रीराम जी की कथा होती है वहां पर मनुष्य को विशेष लाभ प्राप्त होता है। जीवन को सफल बनाने के लिए प्रत्येक मनुष्य को हनुमान जी की नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए।


अखिल कोटि ब्रह्माण्ड नायक परब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम पवनसुत हनुमंत लाल की असीम अनुकंपा से प्रति वर्ष की भांति संत सत्संग सम्मेलन खैरापति सरकार मन्दिर ग्राम मेहदौली के तत्वावधान में सनातन धर्म सम्मेलन स्वरूप सानंद श्रीश्री 1008 रामदास महाराज दंदरौआ धाम, श्रीश्री 1008 रामभूषण दास महाराज खनेता, श्रीश्री 1008 हरिदास महाराज जड़ेरुआ, श्रीश्री 1008 कमलदास महाराज टीकरी के सानिध्य में चल रहा है। जिसमें शुक्रवार को तीसरे दिन पर मंचासीन श्रीश्री 1008 रामशरण दासजी महाराज प्रज्ञाचक्षु (बृन्दावन), श्रीश्री 1008 श्री सीताराम जी महाराज (बृन्दावन), मंहत कालिदास महाराज, पं. हैवरन शास्त्री, साध्वी श्रीकृष्ण देवी रामायणी, कुंजबिहारी बरुआ, अंकित शास्त्री, राहुल शास्त्री मंचासीन रहे। संचालन पं. बासुदेव शास्त्री लालपुरा वाले ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीश्री 1008 रामभूषण दासजी महाराज खनेता ने किया। साथ ही चरनदास महाराज को खैरापति मन्दिर के पूजा अर्चन व्यवस्था की जिम्मेदारी सौपी, कार्यक्रम के समापन पर दंदरौआ महाराज ने आरती के साथ आशीर्वाद दिया।


इस अवसर पर संत समाज ने कहा कि रामराज्य स्थापना व कल्पना करना भाई भरत के बिना सदैव अधूरी या मात्र कल्पना ही कहा जा सकता है, घर, परिवार, समाज, राष्ट्र को रामराज्य की अवधारणा से परिपूर्णता की सार्थकता सिद्ध होती है या होगी। उसके लिए भाई भरत को सबसे श्रेष्ठता का हेतु बनाना आवश्यक होगा, आज के परिवेश में भाई-भाई के अनिष्ट या दवाने, कमजोर करने या बनाए रखने के अनैकों अनेक छल-कपट, षडय़ंत्र रचने का उपक्रम करके स्वयं को बड़ा या महान बनाने का कितना भी प्रयोजन किया जाए मगर नतीजा निश्फल ही होगा। जिस समय भरत जैसे भाई के प्राकट्य होते ही सब ओर कुशल मंगल, सुख समृधी स्वत: ही प्रकट होने लगती है। आज का भाई सत्ता एवं धन, वैभव प्राप्ति करने के लिए भाई का अनिष्ट करने के उपक्रम करने को आगे बढ़ सकता है, पर जब हम श्रीराम के जीवन के बारे में देखते और सुनते हैं तो समझ में आता है, एक भाई ऐसा भी है जिन्हें हम प्रेम से भाई भरत कहते हैं, जो अपने भाई की चरण पादुका को चित्रकूट से अपने सर पर रखकर अयोध्या लाकर पूजा करते हुए जीवन सत्य पथ पर खड़े होकर धर्म और भ्रात प्रेम की अविरल सुरसरि की धारा बन जाते है, एक भैया ऐसा है जिन्हें लक्ष्मण कहते हैं, जो सुबह से शाम तक केवल भगवान श्रीराम की सेवा में ही लगे रहते हैं, एक भाई ऐसे हैं, जो केवल अपने भाईयों की सेवा करते हैं और मोन रहते हैं, उनका नाम शत्रुघ्न है, आज के परिवेश में यह सब विलुप्त सा प्रतीत होता है, उसी का परिणाम है, घर-घर में अमंगल पैर पसारते जा रहा है, आइए हम सब पुन: अपने मूल सनातन धर्म के प्रति आगे बढ़ें और प्रभु श्रीराम जी के जीवन और परिवार से सीखें, भरत और लक्ष्मण बनने की कोशिश करें, तभी वास्तव में हम आदर्श परिवार समाज और राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं उसी को राम राज्य कहा जाता है।