विभागीय कर्मचारी करेंगे मजे, 5वीं पास आशाओं से चलवाएंगे कॉल सेंटर

मेहगांव बीएमआ द्वारा जारी आदेश के विरोध में उतरी आशा एवं सहयोगिनी कार्यकर्ता

भिण्ड, 14 दिसम्बर। जिले का स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इतने निम्न सोच वाले हो सकते हैं, यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा। मेहगांव बीएमओ द्वारा कलेक्टर के निर्देश का हवाला देते हुए ऐसा आदेश जारी किया गया है, जिसमें पांचवीं की योग्यता रखने वाली आशा कार्यकर्ताओं से कॉल सेंटर चलावाने का उल्लेख किया गया है। क्या विभाग में कर्मचारी सिर्फ मजे करने के लिए हैं। ऐसे में आशा कार्यकर्ता अपने गांव में काम करें या बीएमओ के कॉल सेंटर पर, यह समझ से परे है। यह जानकारी ममता रजक, मंजू नरवरिया, मीना नरवरिया, सुलेखा, मधु लोधी, सावित्री राजावत, नर्मदा शर्मा, हेमवती नरवरिया, किरण शर्मा आदि आशा सहयोगिनी एवं आशाओं ने दी है।
वर्ष 2005 से एनएचएम के तहत जमीनी स्तर पर ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए आशा और सहयोगी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। लेकिन कोविड-19 के नाम पर सबसे निचले स्तर के इन जमीनी कार्यकर्ताओं को बगैर वेतन के ही कार्रवाई का भय दिखाकर तथा नौकरी से निकाले जाने तक की धमकी देकर किसी भी ड्यूटी के लिए आदेशित कर दबाव बनाया जाता है। वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड-19 वेक्सीनेशन के लिए कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं जिनमें आशा एवं सहयोगिनी कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगाई जा रही है। इस ड्यूटी के दौरान एक कार्यकर्ता को एक दिन में 100 से अधिक हितग्राहियों को वैक्सीन की जानकारी देना है और वेक्सीन लगे हुई व्यक्ति की जानकारी लेना है। इसके लिए कार्यकर्ता को स्वयं के निजी नंबर से खुद का बैलेंस करवा कर हितग्राहियों को फोन करना है। यही नहीं खुद का किराया लगाकर कॉल सेंटर तक पहुंचना है। कॉल सेंटर की घर से दूरी 30 से 40 किमी तक की है। इस दौरान आने जाने में किसी के 100 व किसी के 150 तक खर्च हो रहे हैं। इसका सीधा अर्थ है कि कॉल सेंटर पर कार्य करने के लिए इन कार्यकर्ताओं को 200 का बैलेंस और तीन से चार हजार तक किराए में खर्च करने होंगे। यह सारे कार्य निशुल्क सेवा के रूप में इन कार्यकर्ताओं से करवाए जा रहे हैं, न करने की स्थिति में कार्रवाई और नौकरी से निकाले जाने की धमकी दी जा रही है।
यह भली-भांति ज्ञात है कि कोविड-19 से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा एवं आशा सहयोगिनी कार्यकर्ताओं को ना कोई मास्क दिया गया ना ही सैनेटाइजर दिया गया और ना ही आज तक ग्लब्स दिए गए और वैक्सीनेशन में काम करने के लिए 200 का भुगतान और 100 चाय और नाश्ते के लिए दिए जाने थे। वह भी आज तक नहीं दिए गए हैं जिसके कारण आशा और सहयोगनी कार्यकर्ताओं द्वारा कई बार विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन एवं हड़ताल भी की जा चुकी है। विभागीय अधिकारियों सहित प्रशासनिक अधिकारी इस मामले पर आंख बंद किए हुए हैं और लगातार हर प्रकार के कार्य में इस अमले की भूमिका और दायित्व बढ़ाते चले जा रहे हैं। कॉल सेंटर पर काम करने के बहुत गम्भीर दुष्परिणाम सामने नजर आ रहे हैं, जिन हितग्राहियों को इन महिला कार्यकर्ताओं के द्वारा फोन किए जाते हैं। उनमें से कुछ लोगों के द्वारा अपशब्द और अभद्रता की भाषा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कुछ मनचले प्रवृत्ति के लोगों द्वारा इन महिला कार्यकर्ताओं को देर रात्रि तक फोन करके परेशान किया जाता है एवं व्हाट्सएप पर अनर्गल मैसेज भेजे जाते हैं। जब इस घटना का संज्ञान उच्च अधिकारियों को कराया गया तो उनके द्वारा समझाइश दी गई कि ऐसे नंबरों को आप लोग ब्लॉक कर दें लेकिन विरुद्ध में आज तक कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।