तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए आवाज अब दुनियाभर में मुखर है : मुदगल

भिण्ड, 05 मई। भारत तिब्बत सहयोग मंच एक सामाजिक संगठन है जो कैलाश मानसरोवर की मुक्ति, तिब्बत की आजादी और भारत की सुरक्षा के संकल्प के साथ काम कर रहा है, भारत तिब्बत सहयोग मंच का गठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सर संघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया के आह्वान तथा पंचम सरसंघचालक कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन के सानिध्य तथा तिब्बती धर्मगुरू परम पावन दलाई लामा के आशीर्वाद तत्वावधान में संघ प्रचारक इंद्रेश कुमार के नेतृत्व में 5 मई सन 1999 को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में किया गया। यह बात भारत-तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष युवा विभाग एवं अधिवक्ता अर्पित मुदगल ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कही।
उन्होंने कहा कि भारत तिब्बत सहयोग मंच का मानना है कि आज भारत के सामने सबसे बडी चुनौती चीन द्वारा भारत के आंतरिक मामलों में किए जा रहे हस्तक्षेप और भारत की सुरक्षा पर पाकिस्तान के साथ मिलकर की जा रही साजिश बहुत ही चिंताजनक है। पूरी दुनिया जानती है कि चीन भारत का पडोसी देश नहीं है लेकिन तिब्बत पर कब्जा करने के बाद वाह अब भारत के पूर्वोत्तर प्रदेश और अरुणाचल को भी अपना हिस्सा बता रहा है तिब्बत पर चीन के कब्जे के कारण लगभग 3500 किमी की सीमा जो कि वास्तव में भारत और तिब्बत की सीमा है पर भारत सरकार का अरबों रुपए सुरक्षा पर खर्च हो रहा है। अगर तिब्बत आजाद होता तो यह पूरा पैसा भारत के विकास में लगाया जा सकता था वही सबको पता है कि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है जो सनातन धर्म हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केन्द्र भगवान शंकर का निवास स्थान है, इसके साथ ही बौद्ध धर्म को मानने वाले मानसरोवर को सबसे पवित्र स्थल मानते हैं जबकि जैन धर्म को मानने वाले कैलाश मानसरोवर को अष्टपद के रूप में पूजनीय मानते हैं अगर तिब्बत आजाद हो जाता है तो पूरे देश के सनातन धर्म में बौद्ध जैन और सिख बिना रोक-टोक कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे। साथ ही लगभग 3500 किमी की भारत की सीमा स्वता सुरक्षित हो जाएगी। तिब्बत में बौद्ध धर्म के अनुयायी सर्वाधिक हैं जो हिन्दू धर्म की ही एक शाखा है और सनातन धर्म की आत्मा है। अत: ऐसे में प्रत्येक देशवासी का कर्तव्य बनता है कि अपने आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए परम पावन दलाई लामा और उनके अनुयायियों द्वारा चलाया जा रहे तिब्बत मुक्ति आंदोलन को समर्थन करना चाहिए।
मुद्गल ने कहा कि तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए आवाज अब दुनिया भर में मुखर है। तिब्बत हमारा सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मित्र है। बौद्ध संस्कृति का उदभव भारत की पावन भूमि से हुआ है, जो हमारी सनातन हिन्दू संस्कृति की आत्मा है। हम भारतीय, धूर्त व कपटी चीन की चाल, चरित्र और चेहरे को जानते हैं, चीन द्वारा तिब्बत से निकलने वाली नदियों पर डैम बनाने, पर्यावरण में असंतुलन पैदा करने और उससे होने वाले प्राकृतिक विनाश और उसके परिणाम को समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रत तिब्बत की आवश्यकता आज तिब्बतियों से ज्यादा भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि अगर तिब्बत स्वतंत्र होगा तो धूर्त चीन हमारा पडोसी नहीं होगा यही ऐतिहासिक सत्य भी है। अगर चीन पडोसी नहीं होगा तो भारतीय रक्षा बजट की लगभग एक तिहाई धनराशि जो 3500 किमी की भारत-तिब्बत की सीमा पर खर्च हो रही है उसका उपयोग देश के विकास पर हो सकेगा। पूरी दुनिया की सनातन धर्मी हिन्दू, बौद्ध, जैन और सिख बिना रोक टोक कैलाश मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे। वर्तमान परिस्तिथियों को देखते हुये भारतवासी पूरे दिल से तिब्बत की आजादी का समर्थन करते हैं और इसकी कामना करते हैं।
अर्पित मुदगल ने कहा कि तिब्बत की आजादी को लेकर भारत तिब्बत सहयोग मंच पूरे 26 वर्षो से सम्पूर्ण भारत ही नही बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक जागरूकता अभियान चला रहा है। 5 मई 1999 वर्ष में इस विषय पर देशव्यापी जनजागरण के साथ ही भारत सरकार, यूरोपीय संघ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंच व संस्थानों से भी लगातार तिब्बती की संप्रभुता का सम्मान करने और तिब्बत को एक स्वतंत्र राज्य घोषित करने के लिए चीन पर दबाव बनाने का अनुरोध कर रहा है। हमारा संकल्प है कैलाश मानसरोवर की मुक्ति, तिब्बत की आजादी, भारत की सुरक्षा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत-तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक डॉ. इंद्रेश कुमार के मार्गदर्शन में संचालित मंच के 26वें स्थापना दिवस (5 मई ) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। तिब्बत की आजादी, कैलाश मानसरोवर की मुक्ति, भारत की सुरक्षा, पर्यावरण की रक्षा एवं अन्य सम-सामयिक मुद्दों को लेकर 26 वर्षों से अनवरत राष्ट्र की सेवा-साधना में संघर्षरत है। मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सरदार हरजीत सिंह ग्रेवाल एवं राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के नेतृत्व में आगे का सफर और भी शानदार होगा। इन्हीं उम्मीदों, आकांक्षाओं एवं भावनाओ के साथ बीटीएसएम परिवार, समर्थकों एवं शुभचिंतकों को पुन: हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।