हाईकोर्ट ने मजदूरों को दो महीने तक न्यूनतम वेतन भुगतान के सरकार को दिए निर्देश

भिण्ड, 22 फरवरी। मप्र के 25 लाख श्रमिकों का न्यूनतम वेतन किस तरीके से सरकार और कारखाने मालिकों ने अधर में लटकाया था और हाईकोर्ट इंदौर खंडपीठ में विचाराधीन था, इसका निर्णय जैसा भी है, आ गया है।
वरिष्ठ मजदूर नेता सीटू के जिला उपाध्यक्ष देवेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि मजदूरों के बडे हिस्से को एरियर सहित भुगतान करने के सवाल पर 2 महीने के लिए सरकार को मौका दिया गया है। वहीं पर लघु उद्योगों की श्रेणियां बनाने का भी निर्णय हुआ है। उन्होंने बताया कि सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू के प्रदेश अध्यक्ष रामविलास गोस्वामी एवं महासचिव प्रमोद प्रधान ने निर्णय का अपने वकील बाबूलाल नागर के साथ बैठकर अध्ययन करना शुरू कर दिया है। अगर इस निर्णय में कोई भी मजदूरों का अहित दिखेगा तो सीटू रिवीजन में जाएगी।
उन्होंने बताया कि सीटू पूर्व में ही घोषणा कर चुकी है कि मजदूरों के हितों पर अगर चोट हुई तो सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और कानून जो हक बनता है उसे लेकर रहेंगे। सीटू इंदौर हाईकोर्ट में इंटर विनर बनने के बाद मजदूरों की पक्षकार बन गई थी। सीटू के वकील बाबूलाल नागर की तर्कों के आधार पर हाईकोर्ट से स्टे को खारिज करा दिया था, मगर कारखाने मालिकों और सरकार की मिली भगत के तहत ऐसी स्थिति का निर्माण किया गया था, जिससे 25 लाख मजदूरों का न्यूनतम वेतन कानूनन मिलना चाहिए, उसे अधर में लटका दिया था। हाई कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा था, जिसे शुक्रवार को घोषित कर दिया है। सीटू ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है की एक अप्रैल 2024 से समस्त श्रमिकों का एरियर सहित भुगतान करने की तत्काल पहल की जाए।