– चंबल कलश रथयात्रा को लेकर वनमण्डलाधिकारी को लिखा पत्र
भिण्ड, 18 फरवरी। राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पृथक चम्बल प्रदेश गठन की मांग के सयोजक नरसिंह कुमार चौबे ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि पृथक चम्बल प्रदेश गठन होने तक कलश रथ यात्रा जारी रहेगी। इसी क्रम में जिला भिण्ड में चम्बल कलश रथ यात्रा 26 फरवरी से 29 मई तक नगर और देहात के दूरदराज के ग्रामों में सुख, शान्ति का सदेश देने घर-घर देने जाएगी। उक्त रथयात्रा देवऋषि आश्रम ग्राम मुडिय़ाखेड़ा कुरथरा के अंतर्गत रेलवे स्टेशन के पास अटेर रोड भिण्ड से प्रतिदिन सुबह 9 बजे चम्बल जल संगम के लिए प्रस्थान करेगी। जल संगम से जल से कलश भरकर नगर एवं देहात के लिए दूरदराज ग्रामों के लिए प्रस्थान करेगी। रात्रि को 8 बजे वापिस निवेदक देवऋषि आश्रम आकर रुकेगी । चम्बल मैया के घाट पर नहीं है कोई पक्का घाट यह है चम्बल का विकास।
चौबे ने बताया कि चम्बल नदी का उदय मालवा में हुआ है। मालवा से चली चम्बल नदी राजस्थान और मप्र की सीमा पर बांधों का निर्माण होने से किसानों की समस्याओं का निदान हुआ और किसान खुशहाल हुआ और चम्बल अंचल में आकर चम्बल नदी का अस्त हुआ। यहां पर चम्बल नदी का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा के पानी पर निर्भर रहता है जबकि अंचल में पांच-पांच नदियों का जलसंगम है। क्वारी, चम्बल, यमुना, सिंध और पहुज जलसंगम पर पंचनदा बांध की परियोजना 25 अक्टूबर 1983 में बनाई गई थी। केन्द्र सरकार से योजना के लिए लाखों-अरबों रुपए का बजट आता रहा है, लेकिन पचनदा बांध परियोजना पर काम आज तक शुरू नहीं हो पाया है।
चौबे ने बताया अगर पचनदा बांध का निर्माण हो जाता तो चम्बल अंचल में भूमि कटाव कम होगा, जमीन का वाटर लेवल कम नहीं होता। सिंचाई, बिजली समस्या का समाधान होता, चम्बल अंचल में नदियों का पानी ऐसा है कि किसान वर्षा पर निर्भर रहता है और किसान कर्ज में डूबा रहता है। किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। उन्होंने कहा कि चम्बालंचल में वैभव अपार है, लेकिन कोई विकास नहीं है। चम्बल नदी के किनारे पर कोई पक्का घाट नहीं है। चम्बल नदी मध्यप्रदेश के भिण्ड व उत्तरप्रदेश के इटावा जिले की सीमा में स्थित है। उन्होंने चम्बलांचल की समस्या ओर निदान के मुख्य बिन्दुओं को लेकर राष्ट्रीय हनुमान सेना पार्टी द्वारा 27 दिसम्बर 1999 से पृथक चम्बल प्रदेश गठन की मांग की गई है। इसमें उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती अन्तिम छोर पर बसे 22 जिलों को मिलाकर जनता के बल पर पृथक चम्बल प्रदेश गठन की मांग की गई है। उत्तरप्रदेश से आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी और ललितपुर। मध्यप्रदेश से गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और भिण्ड। राजस्थान से धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बारा, झालावाड़ जिले शामिल किए गए है।