– राकेश अचल
सम्माननीय डोनाल्ड ट्रम्प अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति हैं। उनके शपथ ग्रहण के बाद ये अटकलें लगना शुरू हो गई हैं कि वे आज नहीं तो कल अमेरिका के मोदी साबित होंगे, क्योंकि ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी की प्राथमिकताएं लगभग एक जैसी हैं। उनकी आक्रामकता, उनकी सियासत में अदावती शैली मोदी जी की राजनीति से बहुत कुछ मेल खाती है। ट्रम्प के लिए अमेरिका के लिए कुछ नया दिखने का ये अंतिम अवसर है। अमेरिकी ट्रम्प को और मौका नहीं दे सकता।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में ‘कैच एंड रिलीज’ नीति को समाप्त करने का वादा करते हुए कहा कि वे दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करेंगे और लाखों अवैध अप्रवासियों को वापस भेजेंगे। कैच एंड रिलीज शब्द का इस्तेमाल अक्सर अप्रवासियों को अदालत की तारीख तक हिरासत में रखने के बजाय रिहा करने की नीति के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक विशिष्ट कानून या नीति नहीं है और अब आम प्रथा नहीं है, जिसे ट्रंप खत्म करने की बात कह रहे हैं। उनके आदेश का विवरण भी स्पष्ट नहीं है।
भारत में भी अवैध प्रवासियों को लेकर मोदी सरकार लगातार जूझ रही है लेकिन भारत में अभी किसी भी सीमा पर आपातकाल की घोषणा नहीं की हई है। लेकिन ट्रम्प से प्रेरणा लेकर भारत में भी ऐसा कदम उठाया आ सकता है। कोई माने या न माने ट्रम्प और मोदी जी एक-दूसरे के ख्यालों (आइडियाज) की या तो नकल करते हैं या एक-दूसरे को प्रेरित करते हैं। दोनों की बातों में ‘हवा-हवाई’ तत्व कॉमन है।
ट्रंप ने पनामा नहर को वापस लेने का भी वादा करते हुए कहा कि इस नहर के निर्माण के दौरान 38 हजार अमेरिकियों की मौत हुई और चीन नहर का संचालन कर रहा है। सच्चाई ये है कि अमेरिकी निर्माण में 5600 लोगों की मौत हुई थी और ये कैरिबियन के मजदूर थे। पनामा नहर के प्रशासक ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया है कि चीन नहर का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा है कि इन बंदरगाहों पर काम कर रही चीनी कंपनियां हांगकांग के एक कंसोर्टियम का हिस्सा थीं, जिसने 1997 में बोली प्रक्रिया जीती थी। अमेरिकी और ताइवान की कंपनियां भी नहर के किनारे अन्य बंदरगाहों का संचालन कर रही हैं। मुमकिन है कि भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री भी चीन को आंखें दिखते हुए चीन से भारत की हथियाई गई जमीन पर अपना हक जताने लगें।
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका में मुद्रास्फीति रिकार्ड स्तर पर पहुंची और ऐसा अत्यधिक खर्च और बढती ऊर्जा कीमतों से हुआ है। ये बात सही है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति 2022 की गर्मियों में 9.1 फीसदी के चार दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन देश में सबसे अधिक मुद्रास्फीति दर जून 1920 में 23.7 प्रतिशत थी। संयोग से ये सब भारत में भी हुआ है, किन्तु मोदी जी को ये सुविधा हासिल नहीं है कि वे भारत में मुद्रास्फीति के लिए किसी और को जिम्मेदार ठहरा सकें, क्योंकि पिछले 11 साल से वे खुद ही सत्ता में हैं, मोदी जी इसके एवज हमेशा नेहरू-गांधी परिवार को लपेटते रहते हैं।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने खतरनाक अपराधियों को शरण और सुरक्षा दी है, जिनमें से कई जेलों और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों से अवैध रूप से अमेरिका में आए हैं। एक्सपर्ट इस दावे को ठीक नहीं मानते हैं। इनका कहना है कि कुछ अमेरिकी शहरों में अप्रवासियों की आमद हुई है लेकिन ज्यादातर कानूनी तौर पर, वर्क परमिट या अदालतों में उनके मामलों पर काम होने तक रहने के प्राधिकरण के साथ आए हैं। ज्यादातर रिसर्च ये बताती हैं कि अप्रवासी, अमेरिका में जन्मे लोगों की तुलना में अपराध करने की कम संभावना रखते हैं। पर कुछ संस्थाएं हैं जो मानती हैं कि अपराध बढने की वजह अप्रवासी नहीं हैं। भारत में भी मोदी जी और उनकी सरकार मानती है कि देश में बढते अपरधों की वजह बांग्लादेशी प्रवासी हैं। मशहूर फिल्म अभिनेता सैफ अली खान पर हमले को इसका उदाहरण बताया जा रहा है।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में स्वास्थ्य सेवा पर अधिक पैसा खर्च करता है। उनका यह दावा सच है। अमेरिका प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा पर ज्यादातर देशों ज्यादा खर्च करता है। ट्रम्प की ही तरह भारत के प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि आरोग्य के मामले में उनकी सरकार की ‘आयुष्मान योजना’ दुनिया की सबसे बडी योजना है। अब कौन सच बोल रहा है, कौन झूठ केवल ऊपर वाला ही जानता है।
अमेरिका के नए और 47वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ये सुविधा नहीं है कि वे देश के पहले राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन को देश की मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। ये सुविधा केवल भारतीय प्रधानमंत्री की है, वे आज भी देश की बदहाली के लिए अपने 11 साल के कुशासन को जिम्मेदार नहीं मानते, वे इसके लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार मानते हैं। देखना ये है कि ट्रम्प साहब के आने के बाद दुनिया कितनी बदलती है। दुनिया में द्वंद युद्ध जारी हैं। अमेरिका के सामने इन्हें समाप्त करने की चुनौती है। बहरहाल हमारा देश दूसरी बार ट्रम्प युग का और तीसरी बार मोदी युग का सामना कर रहा है। दोनों के युग का अवसान एक साथ 2029 में होगा। इस मौके पार चचा गालिब की बहुत याद आती है। उन्होंने एक जगह लिखा था-
था बहुत शोर कि गालिब कि उडेंगे पुर्जे
देखने हम भी गए, पै ये तमाशा न हुआ।