भिण्ड, 15 दिसम्वर। चंबल के मायाराम यादव ने 50 किमी अल्ट्रा दौड़ पूरी कर न केवल अपना बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। 55 वर्ष की उम्र में अल्ट्रा दौड़ पूरी कर उन्होंने साबित कर दिया कि इच्छा शक्ति और मेहनत से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। यह साहसिक उपलब्धि उन्होंने जैसलमेर में आयोजित अल्ट्रा दौड़ में हासिल की, जिसे भारत की सबसे कठिन दौड़ों में से एक माना जाता है।
अल्ट्रा दौड़ खिलाड़ी की धैर्य, सहनशक्ति और मानसिक ताकत की कड़ी परीक्षा लेती है। यह दौड़ तीन श्रेणियों में होती है, 50 किमी, 100 किमी और 160 किमी। जैसलमेर की तपती दोपहर में बीएसएफ की सुरक्षा में आयोजित इस दौड़ का मुख्य हिस्सा रेगिस्तान की रेत में होता है, जो इसे और भी कठिन बनाता है। इस दौड़ का उद्देश्य केवल पूरा करना ही सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। भिण्ड के अटेर तहसील के ग्राम धरई के निवासी मायाराम यादव ने 50 किमी की अल्ट्रा दौड़ पूरी कर चंबल क्षेत्र से ऐसा करने वाले पहले धावक बनने का गौरव प्राप्त किया। यह उपलब्धि उन्होंने किशोरी स्पोर्ट्स क्लब के समर्थन से हासिल की। क्लब संचालक राधेगोपाल यादव ने बताया कि मायाराम ने इस दौड़ में भाग लेने से पहले हाफ मैराथन (21 किमी) और फुल मैराथन (42 किमी) में सफलता हासिल की थी। इन उपलब्धियों के साथ उन्होंने अपने अभ्यास और इच्छाशक्ति को मजबूत करते हुए अल्ट्रा दौड़ में सफलता प्राप्त की। मायाराम यादव की यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनका उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना और भिण्ड के युवाओं को यह संदेश देना है कि अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने यह साबित किया है कि उम्र कभी भी बाधा नहीं बन सकती।
मायाराम यादव का अगला लक्ष्य 100 किमी की अल्ट्रा दौड़ में भाग लेना है। फिलहाल वे भोपाल में रहकर अपने अभ्यास को जारी रखे हुए हैं। उनकी मेहनत और समर्पण ने चंबल के खेल प्रेमियों को गर्व का अवसर दिया है। मायाराम यादव की इस उपलब्धि पर किशोरी स्पोर्ट्स क्लब के संचालक राधेगोपाल यादव, संगठन सचिव धर्मेन्द्र सिंह कुशवाह, आलोक देपुरिया, चंद्रप्रकाश यादव, डॉ. योगेन्द्र यादव सहित अन्य खेल प्रेमियों ने उन्हें बधाई दी है। यह उपलब्धि न केवल भिण्ड बल्कि पूरे चंबल क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक पल है।
मायाराम यादव ने साबित कर दिया कि साहस, समर्पण और मेहनत के दम पर किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि चंबल के युवाओं को खेलों के प्रति प्रेरित करने का माध्यम भी है। 50 किमी की अल्ट्रा दौड़ पूरी कर उन्होंने चंबल के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज कर लिया है।