सागर, 10 सितम्बर। अपर सत्र न्यायाधीश जिला सागर प्रशांत कुमार सक्सेना की अदालत ने चिटफण्ड मामले में दोगुनी राशि करने का लालच देकर रुपए हडपने वाले आरोपी महेन्द्र सिंह एवं अनिलावा देव को दोषी करार देते हुए धारा 420 एवं 120(बी) भादंवि के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं दस-दस हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 6 मप्र निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 के तहत पांच-पांच वर्ष सश्रम कारावास एवं 25-25 हजार रुपए जुर्माने की सजा से दण्डित किया है। उक्त प्रकरण के दो आरोपी फरार हैं। मामले की पैरवी अपर लोक अभियोजक दीपक कुमार जैन ने की।
जिला अभियोजन सागर के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा ने बताया कि पीतल फेक्ट्री लहदरा नाका भोपाल रोड सागर निवासी फरियादी रामकिशन रजक ने 26 नवंबर 2016 को थाना प्रभारी सिविल लाइन के समक्ष अभियुक्त अनिलावा देव, पिंटू चौधरी, जितेन्द्र नामदेव, डॉ. महेन्द्र सिंह के विरुद्ध आवेदन प्रस्तुत किया कि अनिलावा देव स्वभूमि का ट्रेडिंग एण्ड मार्केटिंग लिमिटेड का चेयरमेन है, पिंटू चौधरी उक्त कंपनी का डायरेक्टर, जितेन्द्र नामदेव ब्रांच मैनेजर, डॉ. महेन्द्र सिंह ठाकुर ऐजेंट की हैसियत से कार्यरत है। उक्त कंपनी का स्थानीय कार्यालय सिविल लाईन ओमरे विल्डिंग संगम होटल के सामने सागर में खोला गया था, जितेन्द्र व महेन्द्र सिंह ने कहा था कि कंपनी में अच्छा फायदा है, रुपए भी सुरक्षित रहेंगे, दुगुनी राशि का लालच देकर 17 फरवरी 2012 को एक लाख रुपए एवं 17 अप्रैल 2012 को पुन: एक लाख रुपए दोनों लोगों को उनकी राशि दुगुनी हो जाने के लालच में दे दिया। एक लाख की राशि 17 अगस्त 2016 को परिपक्व होकर दुगुनी होनी थी तथा शेष एक लाख रुपए पांच गुनी होकर 17 अप्रैल 2022 को मिलनी थी, उक्त दोनों अनावेदक से आवेदन द्वारा राशि की मांग करने पर टाल-मटोल करते रहे और आश्वासन देते रहे, परंतु राशि नहीं दी। जब उसने कंपनी से संपर्क किया तो पता चला कि कार्यालय बंद हो चुका है। अनावेदकगण ने उसकी राशि छलपूर्वक धोखधडी से हडप ली है। इसी प्रकार पडोस के गांव धर्मेन्द्र के भी डेढ लाख रुपए भी छलपूर्वक हडप लिए हैं। उक्त आवेदन पर थाना सिविल लाइन पुलिय द्वारा 420 भादंवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया गया। विवेचना के दौरान दस्तावेज जब्त किए गए, अभियुक्त महेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया, साक्षियों के कथन लेखबद्ध किए गए, अन्य आरोपी अनिलावा देव को भी गिरफ्तार किया गया, मामले में धारा 6 मप्र निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 एवं 120बी भादंवि अधिरोपित कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित कर मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। जहां विचारण उपरांत न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश जिला सागर प्रशांत कुमार सक्सेना के न्यायालय ने आरोपीगण को दोषी करार देते हुए उपर्युक्त सजा से दण्डित किया है।