– राकेश अचल
पडौस के बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं के ऊपर हो रहे अकल्पनीय अत्याचारों के खिलाफ पूरी दुनिया के हिन्दू लामबंद हैं, लेकिन हिन्दू हृदय सम्राट, विश्वगुरू मौन साधे हुए हैं। सब चाहते हैं कि इस मुद्दे पर सरकार मौन रहे और विपक्ष बोले। सरकार इस मुद्दे पर भी विपक्ष को कटघरे में खडा करना चाहती है। ये समय है कि सरकार बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए न सिर्फ बांग्लादेश की काम चलाऊ सरकार पर आंखें तरेरे बल्कि यदि आवश्यक हो तो और जरूरी कार्रवाई भी करे।
बांग्लादेश की कुल जनसंख्या 17 करोड 48 लाख 74 हजार 667 है, इसमें 91 फीसदी जनसंख्या मुसलमानों की हैं और इसमें सुन्नी मुस्लिम ज्यादा हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा संख्या में हिन्दू रहते हैं। बांग्लादेश में करीब आठ फीसदी हिन्दू रहते हैं। हिन्दुओं के बाद यहां बौद्ध और ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की है। यानि बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। हिन्दुओं के घर जलाये जा रहे हैं, मन्दिर जलाये जा रहे हैं। उनकी हत्या की जा रही है। आखिर इसकी जड में है कौन?
शुरू में बांग्लादेश में जनगणना की गई थी, उस वक्त बांग्लादेश की जनसंख्या में 22 फीसदी हिन्दू थे और अब ये प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है। साल 2011 में जनगणना करवाई गई तो ये प्रतिशत 8.5 फीसदी रह गया था और अब ये आठ फीसदी से भी कम है। वहीं, जनसंख्या में मुस्लिम हिस्सेदारी 76 फीसदी से 91 फीसदी हो गई है। अगर संख्या के हिसाब से देखें तो बांग्लादेश में करीब 15 करोड मुसलमान हैं और इसके बाद 1.31 करोड जनसंख्या है। ये आबादी आज खतरे में है। मुझे लगता है कि बांग्लादेश में आज जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए वहां की सरकारों का ही दोष है। सरकारें ही हिन्दू-मुसलमान करती हैं और समाज में नफरत के बीज बोती हैं। कहीं ये जहर सर चढकर बोलता है और कहीं सतह पर नहीं आ पाता।
बांग्लादेश में हिन्दुओं के मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद के दोनों सदनों में कहा कि पडोसी देश राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। वहां के हालात पर भारत सरकार की नजर है। विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत सरकार बंग्लादेश में अपने नागरिकों के संपर्क में है। इस वक्त वहां करीब 19 हजार भारतीय मौजूद हैं, जिनमें से नौ हजार छात्र हैं। वहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश में जो भी सरकार बने उनसे मांग है कि भारत के हाई कमीशन की सुरक्षा की जाए।
भारत सरकार के बयान से जाहिर है कि उसे बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों की फिक्र है, वहां रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दुओं की नहीं, जबकि अब उडा समूचे हिन्दुओं पर हमलों और ज्यादतियों का है। ऐसा माना जाता है कि भारत सरकार बांग्लादेश के साथ इस मुद्दे पर कोई टकराव नहीं चाहती, शायद इसीलिए इस मुद्दे पर उसका रुख ढुलमुल है। ये कूटनीति है तो कोई कुछ नहीं कह सकता, लेकिन ये यदि हिन्दू नीति है तो एकदम गलत है। भारत सरकार को इस समय तमाम बाध्यताओं के बावजूद बांग्लादेश की काम चलाऊ सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस को समझा देना चाहिए कि यदि बांदलादेशी हिन्दुओं के ऊपर हमले न रुके तो बांग्लादेश के लिए ये आत्मघाती साबित होगा। लेकिन समस्या ये है कि भारत ये कहे किस मुंह से?
इस मुद्दे पर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और यहां तक की बसपा तक अपना मत जता चुकी है, लेकिन सत्तारूढ भाजपा लगातार घडियाली आंसू बहा रही है। सरकार ने बांग्लादेश से निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को तो संरक्षण दे दिया है, लेकिन बांग्लादेश के हिन्दुओं को लेकर उसकी अपनी कोई स्पष्ट नीति नहीं है। जाहिर है कि भारत सरकार बांग्लादेश में घुसकर हिन्दुओं की रक्षा नहीं कर सकती, लेकिन भारत की इतनी हैसियत तो है कि वो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाकर बांग्लादेश सरकार पर बाजिब दबाब बना ले। बांग्लादेश की कोई भी सरकार भारत की अनदेखी कर अपना भविष्य नहीं सुधार सकती भले ही वो सरकार चीन समर्थक हो या सेना समर्थक। इसलिए उसे भारत के कूटनीतिक हस्तक्षेप के सामने झुकना ही पडेगा।
भारत सरकार के सामने एक व्यावहारिक समस्या ये है कि वो जैसे अपने देश से मुसलमानों को नहीं खदेड सकती उसी तरह बांग्लादेश के तमाम हिन्दुओं को उठाकर भारत नहीं ला सकती। भारत सरकार बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर सकती है। उसे चेतावनी दे सकती है। लेकिन अभी तक ऐसा कोई कदम भारत सरक्कार की और से उठाया नहीं गया है। मैं कभी भी हिन्दू-मुसलमान के फेर में नहीं पडता, लेकिन मेरे अनेक पाठकों ने मुझसे अपेक्षा की कि मैं बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे उत्पीडन के बारे में लिखूं। इसीलिए मेरा कहना है कि इस मुद्दे पर सरकार मनवीय आधार पर पहल करें। सरकार केवल हिन्दू-हिन्दू कहकर इस मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल नहीं कर सकती।
विपक्ष इस मुद्दे पर खामोश रहे तो उसे हिन्दू विरोधी करार दिया जाता है और बोले तो कहा जाता है कि वो कोई सरकार है क्या? बावजूद इसके कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इन हमलों पर चिंता जताई है। थरूर ने मोहम्मद युनूस से ऐसे हमलों को रोकने और पडोसी देश में सभी धर्म के लोगों के हित में कानून-व्यवस्था बहाल करने की अपील की है। शशि थरूर ने आग्रह किया कि सभी धर्मों के बांग्लादेशी नागरिकों के हित में कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाया जाए। लेकिन भारत के अंधभक्तों को चैन तब मिलेगा जब यही बात लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी कहें। राहुल गांधी वैसे प्रधानमंत्री जी तक के लिए ‘बैल बुद्धि’ हैं किन्तु इस मसले पर भाजप्पा चाहती है कि राहुल बोले।
भारत सरकर यदि धर्मनिरपेक्ष सरकार है तो मुझे कुछ नहीं कहना, लेकिन यदि भारत सरकार अपने आपको हिन्दुओं की सरकार मानती है तो उसे अपना रंग दिखाना चाहिए। बांग्लादेश से कुछ दिन पहले नेपाल में भी सत्ता परिवर्तन हुआ है। वहां भी भारत विरोधी शक्तियां सत्ता में हैं। वहां भी हिन्दू हैं, भगवान की कृपा है कि उनकी दशा बांग्लादेश के हिन्दुओं जैसी नहीं है। लेकिन भारत को अपने चरित्र के अनुसार अपने आस-पास के भारत वंशियों पर ही नहीं अपितु हर हिन्दू की भी फिक्र करना चाहिए। अन्यथा दुनिया में भारत की मौजूदा सरकार की जग हंसाई होगी। आप देख ही रहे हैं कि दुनिया के हर हिस्से में बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं। अमेरिका भी इसका अपवाद नहीं है। हमें उम्मीद करना चाहिए कि बांग्लादेश के बहुसंख्यक और नफरत से भरे मुसलमानों को भी अल्लाताला अक्ल देगा। वे इस हकीकत को समझेंगे कि मुसलमान अकेले समृद्धि का रास्ता नहीं बना सकते। इसके लिए हिन्दू भी जरूरी हैं और दूसरे अल्पसंख्यक भी।