भक्ति के लिए शौर्य और धैर्य आवश्यक : मंगलेश्वरी देवी

दंदरौआ धाम में श्रीराम कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन

भिण्ड, 26 मार्च। इस संसार में वही व्यक्ति धर्मरथ पर बैठ पाता है जो व्यक्ति भक्ति के पथ पर चलता है। धर्म रथ के दो पहिए होते हैं, पहला पहिया शौर्य होता है और धर्मरथ का दूसरा पहिया धैर्य होता है। जो व्यक्ति शौर्य और धैर्य के साथ इन दोनों पहियों को लेकर चलते वही व्यक्ति भक्ति के पथ पर चलने के अधिकारी हैं। यह उद्गार श्रीश्री 1008 महामण्डलेश्वर महंत रामदास जी महाराज के सानिध्य में दंदरौआ धाम में श्रीराम कथा में प्रवचन करते हुए महामण्डलेश्वर कनकेश्वरी देवी की शिष्या मंगलेश्वरी देवी ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि मनुष्य को विचार करने के बाद ही कार्य करने चाहिए, क्योंकि बिना विचार जो मनुष्य कार्य करते हैं वह मनुष्य पीछे से पछताते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए विचार करना बहुत आवश्यक है। कुछ मनुष्य ऐसे भी होते हैं जो केवल विचार ही करते हैं कार्य नहीं और कुछ मनुष्य ऐसे होते हैं जो कार्य करते हैं लेकिन विचार नहीं करते है लेकिन मनुष्य को विचार करने के साथ-साथ कार्य को करना चाहिए। किसी भी मनुष्य की सच्चाई दिन में पता नहीं चलती है लेकिन दिन ढलने के बाद मनुष्य का असली चेहरा रात में ही सामने आता है क्योंकि दिन के उजाले में मनुष्य भेस बदल सकता है। उन्होंने कहा कि इस संसार में रात में जोगी जागता है और भोगी सोता है कथा के मुख्य यजमान श्रीमती सरोज अशोक द्विवेदी हैं। श्रीराम कथा का आयोजन 24 मार्च से एक अप्रैल तक चलेगी। इस अवसर पर दिनेश शास्त्री जय नगर चौकोटी वाले, परमात्मादास, अभिषेक शास्त्री, जलज त्रिपाठी, सौरभ दुबे सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।