दंदरौआ धाम में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान हो रहे हैं प्रवचन
भिण्ड, 29 नवम्बर। श्रृद्धावान मनुष्य दूसरे मनुष्यों की सहायता करता है, मनुष्य के अंदर श्रृद्धाभाव अच्छे इंसान होने का परिचायक है। यदि दुष्ट मनुष्य के पास धन है तो वह दूसरों को कष्ट पहुचाने में और अपने मद में धन खर्च करता है। यदि उसके पास शक्ति है तो वह दूसरों को पीड़ा पहुंचाने के लिए शक्ति का प्रयोग करता है। यह उद्गार गुरु पुरूषोत्तमदास महाराज की पुण्य स्मृति में आयोजित हो रहे 25वे वार्षिक महोत्सव के अवसर पर कथा वाचक पं. रमाकांत व्यास ने श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि ऐसे मनुष्य जीते हुए भी मरे के समान होते हंै, जिसकी व्यक्ति निंदा करें। कालचक्र का व्यवहार बड़ा कठोर होता है, मनुष्य के जन्म के उपरांत उसकी मृत्यु का भी समय निश्चित हो जाता है। मनुष्य का शरीर नाशवान है, एक पल में सारा संसार बदल जाता है, समय की गति न्यारी है। मनुष्य को अपना समय और धन दोनों को अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए। कार्यक्रम में यज्ञाचार्य पं. रामस्वरूप शास्त्री अपने-अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। मुख्य यजमान एवं कथा पारीक्षत भगवत दयाल भारद्वाज तथा आयोजन की व्यवस्था वृंदावन धाम के महंत श्रीश्री 1008 राधिकादास महाराज देख रहे है। इस अवसर पर महंत श्री रामभूषण दास महाराज, मंहत कालीदास महाराज, पूर्व विधायक हेमंत कटारे, पूर्व विधायक राकेश शुक्ला, पूर्व डीएसपी केडी सोनकिया, पवन शास्त्री, दिलीप सिंह भदौरिया, समाजसेवी नाथूराम चुरारिया, नरेन्द्र चौधरी सहित हजारो श्रृद्धालुजन उपस्थित रहे।