सफलता की कहानी : बायोफ्लॉक पद्धति से मत्स्य पालन, जल संरक्षण और कम जगह में भरपूर प्रोडक्शन

– मत्स्य पालक ऊदल सिंह की आय में वृद्धि के साथ जीवन स्तर भी हो रहा है सुदृढ

भिण्ड, 11 मई। मत्स्य उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है जिसे निर्धन से निर्धन व्यक्ति अपना सकता है एवं अच्छी आय प्राप्त कर सकता है तथा समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। विभिन्न माध्यमों से मत्स्य पालन व्यवसाय में लगकर ऊदल सिंह अपना आर्थिक स्तर सुधार रहे हैं।
जिले के ग्राम गोरा निवासी ऊदल सिंह द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजनांतर्गत मत्स्य पालन की नवीन तकनीकि बायोफ्लॉक यूनिट द्वारा मत्स्य पालन का कार्य किया जा रहा है। बायोफ्लॉक से मछली पालन जल संरक्षण और कम जगह में भरपूर प्रोडक्शन देता है। इसके साथ ही किसानों की आय बढाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी करता है।
ऊदल सिंह बताते हैं कि सहायक संचालक मत्स्योद्योग जिला भिण्ड के अधिकारी की सहायता से बायोफ्लॉक पद्धति से 4 मीटर व्यास 1.5 मीटर ऊंचाई एवं 10 हजार लीटर पानी की क्षमता के टैंकों में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया गया। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना से 60 प्रतिशत का अनुदान प्राप्त हुआ। मत्स्य पालन से प्रति वर्ष 3-4 लाख रुपये मुनाफा प्राप्त कर लेता हूं। वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का सफलतापूर्वक संचालन होने से इससे जुडे हितग्राहियों की आजीविका निरंतर बढ रही है। मछली पालन से जुडे हितग्राही शासन की उक्त योजना के माध्यम से अपनी निजी भूमि पर मछली उत्पादन कर अपनी आजीविका बढा रहे हैं। बायोफ्लॉक पद्धति जो कि एक कम लागत की ऐसी पद्धति है, जिसमें अधिक मुनाफा होता है। मत्स्य पालक ऊदल सिंह किसानों के हित में चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को धन्यवाद दे रहे हैं।