नदियां हमारे घर में नहीं घुसीं, अपितु हम नदियों के घर में घुस गए हैं : रिवर मैन सतीश

– सुप्रयास द्वारा विश्व नदी दिवस पर क्वारी नदी के किनारे ग्राम कनकूरा में संगोष्ठी आयोजित

भिण्ड, 28 सितम्बर। सामाजिक संस्था सुप्रयास द्वारा विश्व नदी दिवस के अवसर पर क्वारी नदी के किनारे ग्राम कनकूरा में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें ग्राम वासियों ने हर साल आने वाली बाढ़ से होने वाले नुकसान के बारे बताया। जिसका उत्तर देते हुए राजेश सिंह ने कहा कि हमने बचपन से ही पढ़ा है कि वनों के द्वारा बाढ़ से हमारी रक्षा होती है पर हमने जब वनों को ही उजाड़ दिया है तो बाढ़ से हमारी रक्षा कौन करेगा? इसलिए बाढ़ से बचने का स्थाई समाधान नदियों के किनारे वनों को पुनर्जीवित करना है।
मुख्य वक्ता रिवर मैन सतीश राजावत ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि दुनियाभर में आज विश्व नदी दिवस मनाया जा रहा है। सितंबर महीने के चौथे रविवार को इसका आयोजन होता है। मानव सभ्यता में नदियों का बहुत खास महत्व है। दुनियाभर में जल के बिना जीवन असंभव है। मानव सभ्यता की शुरुआत उन्हीं जगहों पर हुई जहां आसानी से जल उपलब्ध हो सका। जल का सबसे अच्छा साधन नदी होती है। नदियों का मानव जीवन में विशेष महत्व होता है। तमाम नदियों के किनारे ही मानव सभ्यताएं शुरू हुईं और इनका विकास भी होता गया। आज भी कई शहर ऐसे हैं जो किसी न किसी नदी के किनारे पर बसे हुए हैं। भारत में तो नदियों को देवी और मां की संज्ञा दी गई है। ऐसे में नदियों के महत्व को इग्नोर नहीं किया जा सकता है। नदियां हमारे जीवन का आधार हैं और हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए।
वैसे तो विश्व नदी दिवस हर साल मनाया जाता है। हर साल विश्व नदी दिवस को मनाने के लिए और लोगों को जागरूक करने के लिए इसकी अलग-अलग थीम भी रखी जाती है, जिससे लोगों को प्रेरित किया जाता है। इस बार विश्व नदी दिवस की थीम ‘हमारी नदियां, हमारा भविष्य’ रखा गया है। यह थीम इस बात पर बल देती है कि यदि हम आज नदियों की रक्षा नहीं करेंगे, तो भविष्य भी संकट में आ सकता है। ऐसे में भविश्य की रक्षा के लिए हमें आज से ही नदियों के संरक्षण के बारे में विचार करना होगा और इसके लिए प्रयास भी करने होंगे।
संगोष्ठी में गिर्राज सिंह भदोरिया ने कहा कि विश्व नदी दिवस हर साल सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों के बीच नदियों के महत्व के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है। इसके अलावा लोगों को नदियों के संरक्षण के बारे में संदेश देना और जनता को यह प्रेरित करना कि वे नदियों की सेहत बनाए रखने में सहभागी बनें। विश्व नदी दिवस लोगों, संगठनों और सरकारों को यह सोचने और काम करने के लिए प्रेरित करता है कि कैसे हम अपनी नदियों की रक्षा कर सकते हैं, उन्हें पुनर्स्थापित कर सकते हैं और प्रदूषण को रोक सकते हैं। आज-कल कई नदियां प्रदूषण, अवैध रूप से पानी निकालना, बांधों और जल-प्रबंधन परियोजनाओं की वजह से संकट में हैं। इसलिए इस दिवस के माध्यम से इन मुद्दों को सामने लाने का प्रयत्न किया जाता है।
सुप्रयास के सचिव डॉ. मनोज जैन ने कहा कि बाढ़ और सूखा का प्रमुख कारण पानी के मैनेजमेंट का बिगड़ जाना है। जब बारिश होती है तो पानी को सहजने के कोई साधन न होने के कारण सारा का सारा पानी एक साथ नदियों में बह जाता है जो बाढ़ का कारण बनता है। इसको रोकने के लिए हमें अपने कुओं को फिर से जिंदा करना होगा, तालाबों को पुनर्जीवित करना होगा। बारिश का जल कुआं और तालाबों के माध्यम से जमीन के अंदर जाएगा तो भूजल का स्तर भी बढ़ेगा और धरती की तपन भी कम होगी। जिससे हम बाढ़ और सूखा दोनों का मुकाबला करने में सक्षम होंगे। संगोष्ठी में समाजसेवी दानवीर दीक्षित, विवेक परिहार, कमलेश सिंह यादव, महावीर सिंह यादव, संदीप सिंह यादव, बृजेश सिंह यादव, नीरज सिंह यादव, लालू यादव, सुशील यादव, कोमल सिंह यादव, सचिन यादव ने भाग लिया।