गायत्री मन्दिर परिसर में हुआ गीता स्वाध्याय का आयोजन

भिण्ड, 14 अप्रैल। गीता स्वाध्याय के प्रति जनमानस में बढती हुई जिज्ञासा को देखते हुए इस बार जितेन्द्र सिंह भदौरिया के बडे भाई देवेन्द्र सिंह भदौरिया द्वारा गायत्री मन्दिर परिसर में गीता स्वाध्याय का आयोजन किया गया। कार्यक्रम से पहले मुलायम सिंह चौहान द्वारा संगीतमय भजन प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात् भगवान कृष्ण के चित्र पर दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण किया गया। स्वाध्याय पत्र एवं सुभाषित का वाचन विश्व गीता प्रतिष्ठानम के जिला प्रभारी विष्णु कुमार शर्मा द्वारा किया गया। गुरु वंदना का वा चन मुलायम सिंह चौहान द्वारा किया गया। गीता के प्रकांड विद्वान एवं मुख्य वक्ता रघुराज दैपुरिया (धर्मानंद) ने गीता के अध्याय तीन के श्लोक नौ से सोलह तक ब्रह्मदेव के कर्मो के बारे में समझाया कि ब्रह्मदेव प्रणीत कर्म (यज्ञ, दान, तप) ये बंधन कारक हैं। भगवान समझाते हैं कि अक्षर ब्रह्म का अधिष्ठान करना चाहिए जो लोक संग्रह समष्टि के कार्य होकर बंधन करक नहीं हैं, क्योंकि वह अकर्म रूप है। उपरोक्त श्लोकों में ब्रह्मदेव के कर्म बताए हैं, भगवान का मत नहीं। भगवान 16वें श्लोक से अकर्म रूप कर्म बताते हैं। आगे के श्लोकों में भगवान कहते हैं कि ब्रह्मदेव के कर्म ग्रहण या त्याग दोनों में ही वह व्यक्ति नहीं फंसता क्योंकि अकर्म फलभाव रहित होता है। ब्रह्मदेव के कर्म जन्म बंध रूप फल देने वाला होता है। कतिपय लोग ब्रह्मदेव कि सृष्टि जीवों को उत्पन्न करने वाली बताते है जो उचित नहीं है। रामचरित मानस में स्वयंभू मनु राजा थे, जिनकी प्रजा थी तो फिर उनकी सृष्टि जीवों कि सृष्टि कैसे हो सकती है। उन्होंने मानव जाती में ज्ञान कि सृष्टि की, जो ग्यारह महर्षि, चौदह मनु द्वारा ब्रह्म विद्या का शिक्षण देकर मानव जाति में ज्ञान फैलाया। चार मनु क्षत्रिय वर्ण के ग्यारह महर्षि ब्राह्मण वर्ण के शिक्षित (गुरुकुल में) कर सतयुग के बाद यह प्रथा चलाई। भगवान गीता के दसवें अध्याय के छटवें श्लोक में स्पष्ट किया है कि मानवता में भ्रष्टाचार, तुष्टाचार, अनाचार न बडे इसके लिए व्यवस्था की, यही ब्रह्मा की सृष्टि है। अंत में गीता जी की आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ ही विधिवत कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम के रूपरेखा शैलेश सक्सेना द्वारा निर्धारित की गई। वरिष्ठ पत्रकार भानु श्रीवास्तव का माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। इस अवसर पर पूर्व सरपंच केदारनाथ दुबे, धर्मसिंह भदौरिया, मुलायम सिंह चौहान, सेक्रेटरी भूरे शर्मा, दुर्गादत्त शर्मा, राजेन्द्र सिंह भदौरिया, श्यामबाबू पुरोहित, वीरेन्द्र शर्मा, जितेन्द्र सिंह भदौरिया आदि उपस्थित रहे।