ज्ञान के महाकुम्भ में अज्ञान की डुबकी

– राकेश अचल


मुझे 144 साल बाद प्रयागराज में सजे महाकुम्भ में शामिल न होने का अफसोस तो है, लेकिन मैं संतुष्ट हूं कि मैंने दिल्ली में लगने वाले ज्ञान महाकुम्भ में अज्ञान मुक्त होने की डुबकी लगा ली। दिल्ली में पिछले 51 वर्षों से ये ज्ञान महाकुम्भ आयोजित किया जा रहा है। इसका नाम हालांकि नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला है और ये प्रकाशन जगत में एक प्रमुख कैलेंडर कार्यक्रम है।
वर्ष 2025 का ये ज्ञानकुंभ एक से नौ फरवरी तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में नवनिर्मित हॉल 2-6 (भूतल) में आयोजित किया गया। मेले का आयोजन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन) द्वारा किया जाता है। इसमें कोई शाही दिन नहीं होता, कोई अखाडा नहीं होता। कोई पीठाधीश्वर, शंकराचार्य या महामंडलेश्वर नहीं होता। वीआईपी कल्चर से भी ज्ञानकुंभ मुक्त है। यहां हर घाट पर जाकर आम आदमी अपनी ज्ञान पिपासा शांत कर सकता है।
ज्ञान कुंभ यानि विश्व पुस्तक मेले में लेखक, पाठक और प्रकाशक एक घाट पर पानी पीते हैं। लेकिन दुर्भाग्य कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं के ऊपर हैलीकॉप्टर से पुष्प वृष्टि नहीं की जाती। यह मेला भी हालांकि डॉ. मोहन भागवत के संघ परिवार की गिरफ्त में है, फिर भी यहां भी कोई विधर्मी वर्जित नहीं है। यहां आपको हर पंथी मिलेगा ज्ञान त्रिवेणी में डुबकियां लगाते। दक्षिण पंथी, वामपंथी, समाजवादी, अर्बन नक्सली, सब यहां आते-जाते हैं।
इस कुंभ में मीलों पैदल नहीं चलना पडता, यहां के घाट मनोहर और पंक रहित होते हैं। यहां भण्डारे नहीं होते, लेकिन आप पैसा देकर खान-पान की हर सुविधा हासिल कर सकते हैं। यहां नामालूम से लेकर स्थापित, ख्यातिनाम प्रकाशक, लेखक और पाठक एक-दूसरे से मिलते दिखाई देते हैं। यहां आप पाठक से लेखक और लेखक से प्रकाशक तक बन सकते है। यहां आपको मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। हां, 5 रुपए से लेकर हजारों रुपए तक की पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं। यहां लेखक खुद सेल्समैन की भूमिका में होता है। किताबों का फटाफट विमोचन भी होता है।
बच्चों के साहित्य और पढने की आदत को बढावा देने वाली कई गतिविधियां जैसे कि कहानी सुनाने के सत्र, कार्यशालाएं, पैनल चर्चाएं, संवादात्मक सत्र, प्रश्नोत्तरी, प्रतियोगिताएं आदि के साथ-साथ बाल लेखक कॉर्नर का आयोजन आकर्षक ढंग से डिजाइन किए गए बच्चों के मंडप में किया जाता है। प्रसिद्ध लेखकों और चित्रकारों के साथ-साथ शिक्षा और प्रकाशन क्षेत्र के पेशेवरों द्वारा संचालित इन गतिविधियों में विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों/ गैर-सरकारी संगठनों के शिक्षकों और बच्चों के साथ-साथ समुदाय से जुडे लोगों की भारी भागीदारी देखी जाती है।
राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद द्वारा डिजाइन किया गया एक समर्पित थीम मण्डप, पुस्तक मेले की थीम को रचनात्मक, ग्राफिक्स, प्रतिष्ठानों, पुस्तकों, दीवारों, कलाकृतियों आदि के साथ प्रदर्शित करता है। थीम मंडप में मेले के दिनों में थीम के इर्द-गिर्द कई साहित्यिक सत्र और सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं।
ज्ञानकुंभ में विचारों को साझा करने और साहित्यिक समझ को बढाने के लिए एक आकर्षक मंच है। विदेशी प्रदर्शकों/ मिशनों/ दूतावासों/ सांस्कृतिक केन्द्रों/ पुस्तक प्रचार एजेंसियों को पुस्तक लॉन्च, पैनल चर्चा, साहित्यिक कार्यक्रम और बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के लिए कार्यशालाओं के आयोजन के लिए इवेंट कॉर्नर पर स्लॉट बुक करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता।
मेले के विभिन्न हॉलों में बनाए गए खूबसूरती से डिजाइन किए गए लेखक कॉर्नर घरेलू प्रकाशकों, लेखकों और पुस्तक प्रेमियों के लिए संवाद, पैनल चर्चा, पुस्तक लॉन्च के लिए सही मंच प्रदान करते हैं। बुक टॉक और लेखक मंच के नाम से उपयुक्त ये कॉर्नर जीवंत साहित्यिक गतिविधियों का पर्याय बन गए हैं और आगंतुकों के लिए बैठक स्थल के रूप में भी काम करते है।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के दौरान तथा उत्सव को और अधिक रोचक बनाने के लिए एनबीटी इस क्षेत्र के अग्रणी संगठनों जैसे गीत एवं नाटक प्रभाग, साहित्य कला परिषद आदि द्वारा मेले में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित करता है। यहां सबसे अच्छी बात ये है कि किसी नेता का कट-आउट या कोई भगवा झण्डा नहीं दिखता।
इस ज्ञानकुंभ में इस बार भी मैं सपत्नीक गया। बच्चों के लिए किताबें खरीदीं। यहां माला बेचने वाली कंजी आंखों की कोई मोनालिसा, कोई आईआईटीयन बाबा, कोई हैरान करने वाला व्यक्ति नजर नहीं आता। इस बार आप यदि ज्ञान महाकुम्भ में डुबकी लगाने से चूक गए हों तो कोई बात नहीं। अगले साल आइए, ये कुंभ कौन बारह साल में सजता है। इसे तो हर साल लगना है।