मोदी को सराहूं या सराहूं योगी लाल को?

– राकेश अचल


मेरी दशा इन दिनों महाकवि भूषण जैसी हो रही है। भूषण की काव्य प्रतिभा और कशीदाकारी से प्रभावित होकर महाराजा छत्रसाल ने उनकी पालकी को कंधा लगाया था तो महारज शिवाजी ने उन्हें मालामाल कर दिया था। लेकिन मेरे पास न महाकवि भूषण जैसी काव्य प्रतिभा है और न ही मुझे उनकी तरह ठकुर सुहाती लिखाना आती है। लेकिन हम दोनों हैं एक ही बिरादरी के हैं, इसलिए हमारी दुविधा भी एक जैसी ही है। महाकवि भूषण को छत्रपति शिवजी और महाराज छत्रसाल ने दुविधा में डाल दिया था। दोनों महान शूरवीर थे। ये बात 400 साल पुरानी है, लेकिन मुझे कलिकाल में विश्व गुरू मोदी जी और गोरखपंथी योगी आदित्यनाथ ने दुविधा में डाल दिया है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मंै मोदी जी को सराहूं या योगी जी को?
कलिकाल की राजनीति में मुझे प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी और उत्तर प्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसा सूरमा और कोई नजर ही नहीं आता। राहुल, अखिलेश, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविन्द केजरीवाल, हेमंत सोरेन जैसे नेता तो इस जुगल जोडी के सामने कहीं लगते ही नहीं हैं। इन दोनों के पास ध्रुवीकरण का जो अमोघ अस्त्र है वो किसी दूसरे के पास नहीं है। मोदी जी 2014 और 2019 के आम चुनाव में अपने इस अमोघ अस्त्र का जलवा दिखा चुके हैं। 2024 में उनका जलवा थोडा कम नजर आया। लेकिन योगी जी का जलवा कायम है, भले ही 2024 में अखिलेश और राहुल की जोडी ने उनकी हवा टाइट कर दी थी संविधान की प्रतियां दिखाकर।
देश को 81 साल पहले जिस तरह से महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा देकर देश को आजादी दिलाई थी, उसी तर्ज पर महात्मा योगी ने 2024 में देश की जनता को ‘बटोगे तो कटोगे’ का नारा दिया है। वे हर विधानसभा के चुनाव में अपने इसी धारदार नारे के साथ नमूदार हो रहे हैं और देश को कांग्रेस मुक्त करने के अभियान को साकार करने में जुटे हैं। लेक्म महात्मा योगी भूल गए कि वे महात्मा गांधी नहीं हैं। उनकी वाणी में वो ओज नहीं है जो गांधी की वाणी में था। महत्मा योगी की बात तो उनका अपना उप्र नहीं सुन रहा, जबकि महात्मा गांधी के नारे को पूरे देश ने अपना लिया था। अव्वल तो महात्मा योगी को महात्मा गांधी की नकल करते हुए भारतीयों को ‘बटोगे तो कटोगे’ का नारा देना ही नहीं था और यदि दे भी दिया था तो जम्मू-काश्मीर में भाजपा के हारने के बाद उसे महाराष्ट्र में दोहराना नहीं था। योगी जी को मुगालता हो गया है कि हरियाण विधानसभा चुनाव भाजपा ने उनके इसी नारे की बिना पर जीता, जबकि जीत मशीन और मशीनरी की थी।
बहरहाल अभी महाराष्ट्र और झारखण्ड में अगले महीने विधानसभा के चुनाव होना है। इन दोनों राज्यों में महात्मा मोदी के होर्डिंग्स के बजाय महात्मा योगी के ‘बटोगे तो कटोगे’ वाले हर्डिंग्स लग गए हैं। लगता है कि अब भाजपा को अपने महात्मा मोदी के ऊपर भरोसा नहीं रहा। भरोसा तो महाराष्ट्र के चित-पवन पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस पर भी नहीं है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तो भाजपा भरोसा कर ही नहीं सकती। महाराष्ट्र में अब डर के मारे देवेन्द्र फडणवीस भी ‘देवा भाऊ’ बन गए हैं। उनके चित-पवन ब्राह्मण होने की बात भी अब कोई नहीं कर रहा है, क्योंकि भाजपा को आशंका है कि देवेन्द्र भाऊ का ब्राह्मण होना कहीं उसे नुक्सान न करा दे।
कभी-कभी मुझे लगता है कि भाजपा के मित्रों ने खासकर मोदी और शाह साहब की जोडी ने हमारे पुरखे कवि प्रदीप का फिल्म जागृति के लिए 1954 में लिखा गीत न सुना है और न पढा है, अन्यथा वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीतने के लिए महात्मा योगी का ‘बटोगे तो कटोगे’ वाला मंत्र इस्तेमाल नहीं करते। लगता है भाजपा महाराष्ट्र को जानता ही नहीं है। इसलिए मैं भाजपा के मित्रों के लिए कविवर प्रदीप के गीत का वो खण्ड दुहरा रहा हूं जो उन्होंने महाराष्ट्र के लिए लिखा था। वे लिख गए हैं कि
देखो मुल्क मराठों का ये यहां शिवाजी डोला था
मुगलों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था
हर पर्वत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था
बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था
घेर शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की
बलिदान की इस धरती के प्रतीक छत्रपति शिवजी की प्रतिमा का मान-मर्दन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार के समय ही हुआ है। दरियादिल प्रधानमंत्री मोदी जी इस गलती के लिए जनता से क्षमा याचना भी कर चुके हैं, लेकिन ये पता नहीं है कि जनता ने मोदी जो को क्षमा किया या नहीं? जनादेश तो 23 नवंबर को ही आएगा। महारष्ट्र में हालात आज भी ठीक नहीं है। यहां पर्वत-पर्वत पर आग लगी है। मुगल तो हैं नहीं लेकिन अल्प संख्यकों की ताकत को बाजरिए लारेंस विश्नोई की बंदूकों के बल पर तौला जा रहा है। बाबा सिद्दीकी की हत्या की जा चुकी है और फिल्म अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है। ऐसे में महात्मा योगी का नार ‘आग में घी’ डालने का काम कर रहा है।
महाराष्ट्र में मोदी जी का चेहरा चल नहीं रहा। उनका चेहरा अपनी चमक खो चुका है। वैसे भी वे इस समय महाराष्ट्र को भूलकर रूस और यूक्रेन के बीच समझौता कराने में व्यस्त हैं। महात्मा शाह परदे के पीछे से मेहनत जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनकी मेहनत हरियाणा की तरह कामयाब होगी या नहीं कहना कठिन है। आप यकीन मानिए कि मैं मोदी और शाह की जोडी के महारत का मुरीद हूं। वे जिस शिद्दत के साथ चुनाव लडते हैं और अपने प्रतिद्वंदी दलों का खण्डन करते हैं उसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं है। कांग्रेस तो दलों को तोडना जानती ही नहीं है। यानि भाजपा की ये जुगल जोडी बांटने और काटने में सिद्धहस्त हो चुकी है। महाराष्ट्र और झारखण्ड की ही बात करें तो भाजपा राष्ट्रवादी कांग्रेस और शिवसेना को बांट भी चुकी है और आपने ही बच्चे देवेन्द्र फडणवीस के पर काट भी चुकी है। झारखण्ड में झामुमो को बांटकर चम्पई बाबू को कमल गट्टे खिलाने का श्रेय भी इसी जोडी को है।
आप तो पढे-लिखे हैं, अतीत खंगाल लीजिए तो आपको पता चल जाएगा कि भाजपा बांटने का काम आज से नहीं बल्कि वर्षों से कर रही है। भाजपा जिस किसी दल पर अपना हाथ रखती है उसका दोफाड होना अवश्यम्भावी है। मध्य प्रदेश में, उत्तर प्रदेश में, राजस्थान में और न जाने कहां-कहां भाजपा ने कांग्रेस को बांटने की कोशिश की और जब कामयाबी नहीं मिली तो कांग्रेस को काट दिया। कभी ज्योतिरादित्य सिंध्या को काट ले गई तो कभी जितेन प्रसाद को। कभी हेमंत विस्वा को तो कभी किसी और को। बहरहाल लौटकर महात्मा योगी के नारे पर आते हैं। अब महारष्ट्र की जनता को ये तय करना है कि क्या वो सचमुच बंट रही है या सचमुच कटने वाली है? उसे महात्मा योगी के नारे पर ध्यान देना चाहिए या उसे इग्नोर करना चाहिए?
एक शुभचिंतक के नाते मैं भाजपा हाईकमान को मुफ्त का मश्विरा देना चाहता हूं कि वो महाराष्ट्र और झारखण्ड में स्थानीय मुद्दों पर, स्थानीय नेताओं के चेहरों पर विधानसभा का चुनाव लडें और जीतें। इन दोनों राज्यों में ही नहीं बल्कि किसी तीसरे राज्य को भी महात्मा योगी के ‘बांटोगे तो काटोगे’ के नारे से डराने की जरूरत नहीं है। भाजपा को महात्मा योगी की बारूद का इस्तेमाल उप्र में ही करना चाहिए जहां कि 2024 के लोकभा चुनाव में भाजपा की जमीन पोली हो चुकी है। सनद रहे कि ये देश न बंट रहा है और न कोई यहां कट रहा है। हम सब एक हैं, एक डाल के पंछी। जय श्रीराम।