राहुल गांधी की नागरिकता पर संदेह

– राकेश अचल


भारत अजूबा देश है, यहां जो होता है किसी अजूबे से कम नहीं है। अघोषित अधिनायकवाद के बावजूद यहां हर तरह की आजादी है। आप किसी को भी गाली दे सकते हैं, किसी को भी देश का आतंकी नंबर वन कह सकते हैं और किसी को भी पाकिस्तान जाने की सलाह दे सकते हैं। और तो और आप अदालतों का भी वक्त जाया करने के लिए बेसिर-पैर की याचिकाएं लगा सकते हैं। आज मुझे जब दूसरे किसी विषय पर लिखना था, मैं भारत के इस अजूबे स्वभाव के बारे में लिख रहा हूं। आज मेरे सामने भी वे राहुल गांधी हैं, जिनका भूत पूरी भाजपा और माननीय नेताओं के सिर पर चढकर दिन-रात बोलता है। क्या आपको अजूबा नहीं लगता कि जिस देश में सरकार के मंत्री राहुल गांधी को देश का आतंकी नंबर वन कहते हैं उसी देश में सरकार राहुल गांधी को संसद की रक्षा मामलों की स्थाई समिति का सदस्य भी बना देती है। दरअसल सरकार और भाजपा ही तय नहीं कर पा रही कि राहुल गांधी हैं क्या? अब राहुल गांधी से परेशान, हलकान लोग उनकी नागरिकता पर सवाल उठा रहे हैं। सरकारी पार्टी की ही एक नेता ने राहुल गांधी का पासपोर्ट जब्त करने की मांग अपनी ही सरकार से की है।
राहुल गांधी की नागरिकता को चुनौती देने वाले सुब्रमण्यम स्वामी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग पर गृह मंत्रालय को फैसला करने का आदेश देने की मांग करने वाली भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई टाल दी है। कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इस मामले पर अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, तब हम सुनवाई नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने एएसजी चेतन शर्मा को निर्देश दिया कि वो इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले पर चल रही सुनवाई का स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट को बताएं, मामले की अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी।
चूंकि स्वामीजी भाजपा के नेता हैं इसलिए आप ये मान सकते हैं कि उनकी याचिका के पीछे भाजपा भी है। स्वामीजी बच्चे नहीं हैं, वे रवीन्द्र बिट्टू की तरह पुराने कांग्रेसी भी नहीं हैं। स्वामीजी 84 साल के अनुभवी और विद्वान नेता हैं। हिन्दू राष्ट्रवादी नेता एवं सनातन धर्म के प्रचारक हैं। वे जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वे सांसद के अतिरिक्त 1990-91 में वाणिज्य, कानून एवं न्याय मंत्री और बाद में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। 1994-96 के दौरान विश्व व्यापार संगठन के श्रमिक मानकों के निर्धारण में उन्होंने प्रभावी भूमिका निभाई। लेकिन वे भी राहुल गांधी के पीछे हाथ धोकर पडे हुए हैं।
राहुल भारत के नागरिक हैं या नहीं, ये सवाल करने का स्वामीजी को पूरा हक है। उनके पास इसके पक्ष में दलीलें भी हैं। बेहतर होता कि वे जिस पार्टी के नेता हैं उस पार्टी की सरकार के सामने पहले ये मामला उठाते और जब सरकार नहीं सुनती तब अदालत का दरवाजा खटखटाते। स्वामीजी अपनी फजीहत खुद करा रहे हैं। जाहिर है कि उन्होंने पार्टी फोरम पर राहुल गांधी का ये मुद्दा जरूर उठाया होगा और पार्टी हाईकमान से ही हरी झण्डी मिलने के बाद वे अदालत गए होंगे। ये भी मुमकिन है कि सरकार और भाजपा ने स्वामीजी को ध्यान से सुना ही न हो इसलिए स्वामीजी सीधी लडाई लडना पड रही है।
राहुल गांधी की नागरीकता को चुनौती देने वाले डॉ. स्वामी अकेले नहीं हैं। कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर भी इस मुद्दे को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट की शरण में हैं और मजे की बात ये है कि सब कुछ जानते हुए भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को केन्द्र से पूछा कि क्या उसने नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत दायर उस अभ्यावेदन पर कोई निर्णय लिया है जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया गया है। जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उसने गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने के मुद्दे पर विस्तृत जांच की है और उसे कई नई जानकारियां मिली हैं। याचिकाकर्ता ने गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की है। मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को होगी।
आपको बता दूं कि राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल खडे करते हुए अदालत में याचिका दायर की गई थी। इसी साल जुलाई में याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता को पहले सक्षम प्राधिकारी के पास शिकायत करनी चाहिए। यह मामला लोकसभा स्पीकर ओम बिडला तक भी पहुंचा है। अदालत में दाखिल याचिका का हवाला देते हुए ओम बिडला से मांग की गई है कि राहुल गांधी को तब तक संसद सदस्य के रूप में कार्य करने की अनुमति न दी जाए, जब तक गृह मंत्रालय की तरफ से इस मामले का निपटारा न कर दिया जाए। याचिका में यह भी सवाल किया गया है कि राहुल गांधी किस अधिकार के तहत लोकसभा सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। लेकिन दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बने ओम बिडला भी इस मामले पर फैसला नहीं ले पाए। दिल्ली हाईकोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए नौ अक्टूबर की तारीख तय की। चीफ जस्टिस मनोनीत मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खण्डपीठ ने केन्द्र सरकार के वकील से इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष इस मुद्दे पर लंबित याचिका की प्रति प्राप्त करने को कहा। अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि मामले में आगे बढने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिका के बारे में स्थिति जानना न्याय के हित में होगा।
आपको याद होगा कि पहले भाजपा सरकार राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता भी बहाने से छीन चुकी है, लेकिन बीच में सर्वोच्च न्यायालय के आने से पिछली सरकार को मुंह की खाना पडी थी। भाजपा इससे पहले राहुल की जाति पर भी सवाल खडे कर चुकी है, लेकिन राहुल द्वारा खडे किए जाने वाले किसी भी सवाल का जबाब देने से भाजपा और उसके नेता हमेशा कतराते रहते हैं। राहुल की जाति पूछने वाले भी भाजपा के ही एक पूर्व मंत्री और वर्तमान संसद अनुराग ठाकुर थे।
दुनिया जानती है कि राहुल गांधी के गर्भनाल दिल्ली में ही है, अर्थात वे जन्म से ही भारतीय नागरिक हैं। अब कोई माने या न माने ये अलग बात है। राहुल की नागरिकता को चुनौती देने वाले तमाम भाजपाइयों को पता है कि नई दिल्ली में जन्मे गांधी ने अपना बचपन नई दिल्ली और देहरादून के बीच बिताया, उन्होंने नई दिल्ली में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और फिर दून स्कूल देहरादून में जाकर विशेष सभी लडकों के बोर्डिंग सेंट स्टीफेन्स कॉलेज में अध्ययन किया। सुरक्षा समस्याओं के कारण बाद में उन्हें घर पर रहकर ही पढना पडा। गांधी ने सेंट स्टीफेन्स कॉलेज में अपनी स्नातक की डिग्री प्रारंभ की और फिर हार्वर्ड विश्वविद्यालय गए। अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा खतरों के कारण उन्होंने रोलिंस कॉलेज में फ्लोरिडा में अपनी डिग्री पूरी की। उन्होंने एमफिल कैम्ब्रिज से प्राप्त की। उनकी किसी डिग्री को उस तरह से चुनौती नहीं दी गई, जिस तरह की मौजूदा प्रधानमंत्री की डिग्रियों को दी जा सकती है।
अब जनता को तय करना है कि राहुल गांधी से आतंकित भाजपा नेता अदालतों का वक्त खराब कर रहे हैं या नहीं। भाजपा को भी ये स्पष्ट करना होगा कि वो स्वामी और दूसरे भाजपाइयों की याचिकाओं के साथ है या नहीं? वैसे जिस ढंग से सरकार ने राहुल गांधी को लोकसभा के रक्षा मामलों की स्थाई समिति का सदस्य बनाया है उसे देखकर नहीं लगता कि सरकार राहुल को भारतीय नागरिक नहीं मानती। जहां तक मुझे याद आता है कि भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के जमाने में भी सुप्रीम कोर्ट इस मामले को खारिज कर चुकी है। अब देखना है कि तीसरी बार सत्ता में आई भाजपा राहुल को देश से बाहर निकल पाती है या नहीं?